
Pope Francis
रोम की सर्द हवाओं में जब घंटियों की उदासी गूंजने लगी, तो वेटिकन सिटी की दीवारों ने इतिहास के एक स्वर्णिम अध्याय को विदाई दी। पोप फ्रांसिस (Pope Francis), जिन्हें दुनिया भर में उनके करुणा, सादगी और न्यायप्रियता के लिए जाना जाता था, अब इस नश्वर संसार से विदा हो चुके हैं। उनका निधन सिर्फ एक व्यक्ति का जाना नहीं है, बल्कि यह एक विचार, एक युग और एक आध्यात्मिक प्रकाश की लौ का धीमा हो जाना है।
कौन थे Pope Francis?
पोप फ्रांसिस (Pope Francis) का असली नाम Jorge Mario Bergoglio था। वह अर्जेंटीना के रहने वाले थे और 2013 में जब वह 266वें पोप बने, तो कई मायनों में यह चयन ऐतिहासिक था। वह पहले South American Pope थे, और पहले ऐसे Jesuit भी, जिन्हें यह पद मिला। उनका दृष्टिकोण पारंपरिक धर्म से हटकर अधिक मानवीय था। वह चर्च को गरीबों और हाशिए पर खड़े लोगों के करीब लाने का प्रयास करते रहे।
वह जलवायु परिवर्तन, LGBTQ समुदाय, इंटरफेथ डायलॉग और शरणार्थियों के अधिकारों जैसे मुद्दों पर खुलकर बोले। यही कारण था कि उन्हें ‘People’s Pope’ भी कहा गया।
पोप के निधन के बाद की परंपरा
Pope Francis के जाने के बाद अब सबसे बड़ा सवाल उठता है – नए पोप का चुनाव (Papal Conclave) कैसे होगा?
- Conclave क्या होता है?
Conclave शब्द लैटिन से आया है – cum clave, यानी ‘चाबी के साथ बंद किया गया कमरा’। पोप के निधन या इस्तीफे के बाद College of Cardinals की एक विशेष सभा बुलाई जाती है। इसमें वे वेटिकन सिटी के एक विशेष स्थान – Sistine Chapel – में इकट्ठा होते हैं।
यहां मोबाइल, इंटरनेट या बाहरी संपर्क पूरी तरह से बंद कर दिए जाते हैं ताकि कोई बाहरी प्रभाव न हो। पूरी प्रक्रिया अत्यंत गोपनीय होती है।
- कौन करते हैं चुनाव?
पोप का चुनाव सिर्फ Cardinals करते हैं, जो कि चर्च के वरिष्ठ धर्मगुरु होते हैं। इस वक्त करीब 120 Cardinals ऐसे हैं, जो 80 वर्ष से कम आयु के हैं और वोट देने के योग्य हैं।
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हर कार्डिनल का मत बराबर होता है, चाहे वह अफ्रीका से हो, एशिया से या यूरोप से।
- कैसे होता है मतदान?
मतदान तब तक चलता है जब तक कोई एक व्यक्ति दो-तिहाई बहुमत नहीं पा लेता। हर दिन चार बार वोटिंग हो सकती है – दो सुबह और दो शाम को।
अगर किसी वोटिंग में बहुमत नहीं मिलता, तो एक विशेष प्रक्रिया के तहत मतपत्रों को जला दिया जाता है। उस धुएं से संकेत मिलता है। काले धुआं (Black smoke) का मतलब है कि अभी कोई पोप नहीं चुना गया। वहीं, सफेद धुएं का अर्थ है कि नया पोप मिल गया।
इतिहास की कुछ अनोखी घटनाएं
- 1378 में दो पोप चुन लिए गए थे – एक रोम में और दूसरा अविंयोन, फ्रांस में। यह विवाद लगभग 40 साल चला जिसे ‘Great Western Schism’ कहा जाता है।
- 2013 में Pope Benedict XVI ने इस्तीफा दे दिया था, जो कि पिछले 600 वर्षों में पहली बार हुआ था। इससे पहले ज्यादातर पोप जीवन के अंत तक पद पर बने रहते थे।
पोप चुने जाने के बाद नया पोप अपने लिए एक नया नाम चुनता है। पोप फ्रांसिस (Pope Francis) ने यह नाम St. Francis of Assisi के सम्मान में चुना था, जो गरीबों और शांति के प्रतीक माने जाते हैं।
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अब जबकि Pope Francis हमारे बीच नहीं रहे, चर्च एक बार फिर अपनी सदियों पुरानी परंपरा के द्वार पर खड़ा है। नया पोप कौन होगा, क्या वह किसी नए देश से होगा, क्या वह और भी युवा या प्रगतिशील विचारों वाला हो सकता है? ये सवाल अब दुनिया भर के ईसाइयों और विचारकों के मन में गूंज रहे हैं।



