
भोजपुरी सिनेमा के सुपरस्टार और हाल ही में भारतीय जनता पार्टी (BJP) में शामिल हुए पवन सिंह (Pawan Singh) ने बिहार की सियासत को लेकर बड़ा ऐलान किया है। लंबे समय से चल रही अटकलों पर विराम लगाते हुए उन्होंने साफ कहा है कि वे इस बार का बिहार विधानसभा चुनाव नहीं लड़ेंगे।
शनिवार सुबह सोशल मीडिया पर उन्होंने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ एक तस्वीर साझा की और लिखा, ‘मैं, पवन सिंह, अपने भोजपुरीया समाज से कहना चाहता हूं कि मैंने बिहार विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए पार्टी ज्वाइन नहीं किया था और न ही मेरा कोई ऐसा इरादा है। मैं पार्टी का एक सच्चा सिपाही हूं और हमेशा रहूंगा।’
इस बयान के साथ ही पवन सिंह (Pawan Singh) ने उन चर्चाओं पर पूर्णविराम लगा दिया है, जिनमें कहा जा रहा था कि वे बिहार के किसी विधानसभा क्षेत्र से भाजपा प्रत्याशी के रूप में उतर सकते हैं।
पवन सिंह (Pawan Singh) ने अपने पोस्ट में यह भी साफ कर दिया कि उनका लक्ष्य भाजपा के संगठनात्मक कामों में योगदान देना है। उन्होंने कहा कि वे एक सच्चे कार्यकर्ता की तरह पार्टी के साथ रहेंगे और एनडीए प्रत्याशियों के प्रचार-प्रसार में सक्रिय भूमिका निभाएंगे।
पिछले कुछ दिनों से यह चर्चा थी कि भाजपा उन्हें भोजपुर या बक्सर क्षेत्र से उतार सकती है, लेकिन अब पवन सिंह के बयान के बाद स्थिति स्पष्ट हो गई है।
पत्नी ज्योति सिंह से विवाद और कोर्ट की प्रक्रिया
हाल ही में पवन सिंह ने अपनी पत्नी ज्योति सिंह से चल रहे विवाद (Pawan Singh Jyoti Singh controversy) पर भी खुलकर बात की थी। एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने कहा कि यह मामला फिलहाल कोर्ट में विचाराधीन है और जो भी फैसला अदालत देगी, वे उसे स्वीकार करेंगे।
उन्होंने यह भी कहा कि उनकी पत्नी का विवाद उठाने का समय संदिग्ध है। उन्होंने कहा कि पांच अक्टूबर को जब वह लखनऊ स्थित मेरे आवास पर आईं, उससे पहले भी वे कई महीनों में संपर्क कर सकती थीं। लेकिन उन्होंने चुनाव के वक्त यह मुद्दा उठाया। जब चुनाव आयोग ने बिहार चुनाव की तारीखें घोषित कीं, तभी यह माहौल बनाया गया।
ज्योति सिंह और प्रशांत किशोर (PK) की मुलाकात से बढ़ीं चर्चाएं
एक दिन पहले ज्योति सिंह ने जन सुराज आंदोलन के संयोजक प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) से पटना में मुलाकात की थी।
ज्योति ने इस मुलाकात को पूरी तरह न्याय की उम्मीद बताया, न कि राजनीति से जुड़ा कदम।
उन्होंने कहा, ‘मैं पीके से चुनाव या टिकट के लिए नहीं मिली। मैं बस अपने साथ हुए अन्याय के खिलाफ समर्थन चाहती हूं।’
वहीं, प्रशांत किशोर ने भी कहा कि जन सुराज परिवारिक विवादों में नहीं पड़ता, लेकिन जहां अन्याय होता है, वहां आवाज जरूर उठाता है।
हालांकि दोनों पक्षों ने मुलाकात के राजनीतिक मायने नकारे, मगर बिहार की राजनीति में यह मुलाकात अब नई अटकलों का विषय बन चुकी है।
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