
Stir in British royal family : ब्रिटेन के किंग चार्ल्स तृतीय ने अपने भाई प्रिंस एंड्रयू से ‘प्रिंस’ टाइटल और शाही विशेषाधिकार छीन लिए हैं। जेफ्री एपस्टीन विवाद से जुड़े आरोपों के बाद उन्हें विंडसर स्थित रॉयल लॉज से भी बाहर निकलने का आदेश दिया गया है। यह ब्रिटिश शाही परिवार की सदी की सबसे बड़ी कार्रवाई मानी जा रही है। uplive24.com पर जानिए पूरा मामला।
Stir in British royal family : ब्रिटिश शाही परिवार में एक बार फिर बड़ा तूफान खड़ा हो गया है। किंग चार्ल्स तृतीय ने अपने छोटे भाई प्रिंस एंड्रयू से उनका प्रिंस टाइटल और शाही विशेषाधिकार छीन लिए हैं। इसके साथ ही उन्हें विंडसर के रॉयल लॉज (Royal Lodge) से बाहर निकलने का आदेश भी दे दिया गया है।
यह वही ऐतिहासिक निवास है जहां एंड्रयू कई दशकों से रहते आ रहे थे। शाही महल ने गुरुवार को जारी बयान में कहा कि ये कदम आवश्यक हैं, भले ही प्रिंस एंड्रयू ने अपने ऊपर लगे सभी आरोपों से इनकार किया हो।
दरअसल, बीते कुछ हफ्तों से प्रिंस एंड्रयू पर दबाव लगातार बढ़ रहा था। वजह थी, अमेरिकी अरबपति और दोषी करार दिए जा चुके सेक्स अपराधी जेफ्री एपस्टीन (Jeffrey Epstein) से उनके रिश्ते। वर्जीनिया जिउफ्रे (Virginia Giuffre) नाम की महिला, जिसने एपस्टीन पर सेक्स ट्रैफिकिंग के गंभीर आरोप लगाए थे, उसने हाल ही में अपनी आत्मकथा में फिर से दावा किया कि एपस्टीन ने उसे नाबालिग उम्र में प्रिंस एंड्रयू के साथ सेक्स के लिए मजबूर किया था। जिउफ्रे के मुताबिक, वह उस समय सिर्फ 17 साल की थी और तीन बार उसे एंड्रयू से मिलवाया गया था।
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प्रिंस एंड्रयू, जो अब 65 वर्ष के हैं, इन सभी आरोपों से इनकार करते रहे हैं। उन्होंने 2019 में एक इंटरव्यू में खुद का बचाव करते हुए कहा था कि उन्होंने कभी ऐसा कुछ नहीं किया। लेकिन उस इंटरव्यू को ब्रिटिश मीडिया ने विनाशकारी बताया, क्योंकि उसमें एंड्रयू का रवैया असंवेदनशील लगा (Stir in British royal family)।
इसके बाद उन्हें सभी सार्वजनिक जिम्मेदारियों से हटा दिया गया था और वह रॉयल परिवार के कामकाज से लगभग बाहर हो गए थे। 2022 में उन्होंने जिउफ्रे के साथ एक करोड़ों पाउंड के सिविल सेटलमेंट (out-of-court settlement) से समझौता कर लिया था। हालांकि उन्होंने उस समझौते में भी किसी तरह की गलती मानने से इनकार किया था।
एंड्रयू के खिलाफ विवाद (Stir in British royal family) सिर्फ यहीं तक सीमित नहीं है। यह भी सामने आया था कि 2006 में जब अमेरिका में एपस्टीन के खिलाफ एक नाबालिग लड़की के यौन शोषण का मामला दर्ज हुआ था, तब भी एंड्रयू ने उसे अपने विंडसर वाले घर रॉयल लॉज में बेटी बीट्रिस के जन्मदिन के अवसर पर आमंत्रित किया था। इस खुलासे ने ब्रिटेन में जनाक्रोश को और बढ़ा दिया। कई अखबारों ने सवाल उठाया कि एक दोषी व्यक्ति से इतने गहरे संबंध रखने वाला व्यक्ति अब भी शाही सुविधाओं का लाभ क्यों उठा रहा है।
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किंग चार्ल्स के इस निर्णय के बाद अब एंड्रयू का शाही जीवन लगभग समाप्त हो गया है। उन्हें रॉयल लॉज खाली करना होगा और वे अब Norfolk स्थित सैंड्रिंघम एस्टेट में जाकर रहेंगे, जो राजा की निजी संपत्ति है। माना जा रहा है कि उनका खर्च अब राजा की निजी आय से चलेगा और किसी सार्वजनिक फंड का उपयोग नहीं होगा। उनकी पूर्व पत्नी सारा फर्ग्यूसन को भी रॉयल लॉज से बाहर होना पड़ेगा।
हालांकि एंड्रयू की बेटियां – प्रिंसेस बीट्रिस और प्रिंसेस यूजिनी अपनी शाही उपाधियां बरकरार रखेंगी। बकिंघम पैलेस ने बयान में कहा कि राजा और रानी की संवेदनाएं हमेशा पीड़ितों और उन लोगों के साथ हैं, जिन्होंने किसी भी रूप में दुर्व्यवहार झेला है।
कई विशेषज्ञ इसे 1936 की उस ऐतिहासिक घटना से तुलना कर रहे हैं जब किंग एडवर्ड अष्टम ने अमेरिकी महिला वॉलिस सिम्पसन से विवाह करने के लिए सिंहासन छोड़ दिया था। अंतर बस इतना है कि तब मामला प्रेम का था, और आज प्रतिष्ठा का है। (Stir in British royal family)
रॉयल पर्यवेक्षक मानते हैं कि किंग चार्ल्स यह संदेश देना चाहते हैं कि कोई भी व्यक्ति कानून या जिम्मेदारी से ऊपर नहीं है, चाहे वह शाही परिवार का ही क्यों न हो।



