
Manoj Kumar
भारतीय सिनेमा को अगर देशभक्ति का चेहरा देना हो, तो पहला नाम जो सामने आता है वह है मनोज कुमार (Manoj Kumar)। देशभक्ति से लबरेज किरदारों के लिए पहचाने जाने वाले इस अभिनेता-निर्देशक को फिल्म प्रेमी प्यार से ‘भारत कुमार’ कहते हैं। 4 अप्रैल 2025 की सुबह 87 वर्ष की आयु में उनके निधन से फिल्म इंडस्ट्री और करोड़ों प्रशंसकों के दिलों में शोक की लहर दौड़ गई।
मनोज कुमार (Manoj Kumar) को पूरी इंडस्ट्री, पूरा देश चाहता था, लेकिन एक मौका ऐसा भी आया, जब उन्हें कहना पड़ा कि यह मेरा अपमान है।
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साल था 2007। शाहरुख खान (Shah Rukh Khan) की सुपरहिट फिल्म ‘ओम शांति ओम’ (OM SHANTI OM) सिनेमाघरों में धूम मचा रही थी। फिल्म में पुराने बॉलीवुड के दौर को कई मजेदार तरीकों से याद किया गया था, पर एक सीन ऐसा भी था जिसने ‘भारत कुमार’ यानी मनोज कुमार (Manoj Kumar) को नाराज कर दिया।
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इस सीन में शाहरुख का किरदार ओम, 70 के दशक की फिल्म के प्रीमियर में पहुंचता है और खुद को मनोज कुमार (Manoj Kumar) बनाकर अंदर घुसने की कोशिश करता है। उसे पहचानने के बजाय गार्ड उसे बाहर कर देता है। इसी सीन में शाहरुख ने मनोज कुमार के सिग्नेचर स्टाइल ‘हाथ से चेहरा छुपाने’ की नकल की थी।
यह सीन मजाक था, पर मनोज कुमार (Manoj Kumar) को यह मजाक नहीं लगा।
उन्होंने इसे ‘अपमानजनक और दुर्भावनापूर्ण’ बताया। उनका कहना था कि इस तरह की हरकतें एक कलाकार की गरिमा को ठेस पहुंचाती हैं।
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शाहरुख की माफ़ी, और फिर… जापानी ट्विस्ट!
जब विवाद उठा, शाहरुख ने बिना देर किए माफ़ी मांग ली। उन्होंने कहा, ‘मनोज जी (Manoj Kumar) हमारे सीनियर हैं। अगर उन्हें बुरा लगा है, तो मैं दिल से माफ़ी मांगता हूं।’ फराह खान ने भी वादा किया कि DVD और टीवी वर्जन से सीन हटा दिया जाएगा।
लेकिन कहानी यहीं खत्म नहीं हुई।
2013 में फिल्म जापान में रिलीज हुई, और वही सीन फिर से दिखाया गया!
मनोज कुमार (Manoj Kumar) चौंक गए। उन्होंने गुस्से में कहा, ‘यह तो धोखा है।’ उन्होंने शाहरुख, फराह और इरोस इंटरनेशनल के खिलाफ ₹100 करोड़ का मानहानि का केस दायर कर दिया।
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कोर्ट का ड्रामा और मनोज कुमार (Manoj Kumar) का अंत में मौन
मनोज कुमार (Manoj Kumar) ने कहा, ‘मैंने सीनियर आर्टिस्ट के नाते शांति से बात की, माफी भी ले ली, लेकिन यह दोबारा किया गया। यह अब सिर्फ मेरा नहीं, पूरी इंडस्ट्री का अपमान है।’
हालांकि, कुछ साल बाद उन्होंने केस वापस ले लिया। उनका कहना था कि, ‘मैंने ये लड़ाई कलाकारों की गरिमा के लिए लड़ी, लेकिन कोर्ट से मुझे न्याय नहीं मिला।’
यह विवाद बॉलीवुड इतिहास की उन कहानियों में से एक बन गया, जहां हास्य और श्रद्धा की रेखा धुंधली हो जाती है, और बताता है कि सिनेमा सिर्फ मनोरंजन नहीं, बल्कि भावना भी होता है।
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