
India-Pakistan war
पहलगाम आतंकी हमला (Pahalgam Terror Attack) पाकिस्तान की वह गलती है, जिसने भारत के साथ युद्ध (India-Pakistan War) के खतरे को भड़का दिया है। सीमाओं पर सैनिक तैनात हैं, आसमान में लड़ाकू विमान गरज रहे हैं, और टीवी चैनलों पर युद्ध की गूंज सुनाई दे रही है।
कहने के लिए तो पाकिस्तान (Pakistan) के नेता एक से एक बयान दे रहे हैं। उनकी बातों से लग रहा है कि भारत के साथ युद्ध (India-Pakistan War) से उन्हें फर्क नहीं पड़ता – वे मरे जा रहे हैं लड़ने के लिए।
लेकिन, इनके बीच एक और आवाज है – एक डरी-सहमी, टूट चुकी आवाज – पाकिस्तान की आम जनता की, जो इस वक्त रोटी, दवा और रोजगार के लिए तरस रही है। युद्ध उनके लिए कोई राष्ट्रभक्ति नहीं, बल्कि एक और तबाही का नाम है।
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दान पर चल रही पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था
पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था (Pakistan Economy) अपने सबसे बदतर दौर में है। IMF से मिले बेलआउट पैकेज ने सरकार को थोड़ी राहत दी है, लेकिन बाजार और आम जनता अब भी खाली हाथ हैं।
वित्त मंत्री मुहम्मद औरंगजेब (Muhammad Aurangzeb) खुद मानते हैं कि भारत से तनाव बढ़ाना इस ‘नाजुक रिकवरी’ को और मुश्किल बना देगा। उनका देश युद्ध (India-Pakistan War) अफोर्ड नहीं कर सकता।
70 ट्रिलियन रुपये से ज्यादा का कर्ज, और हर पाकिस्तानी नागरिक पर औसतन 2.34 लाख रुपये का बोझ। महंगाई बेलगाम है और बेरोजगारी मुंह चिढ़ा रही है। विश्व बैंक (World Bank) की रिपोर्ट डराने वाली है – इस साल करीब 1 करोड़ लोग खाद्य असुरक्षा की गिरफ्त में आ सकते हैं।
राजनीतिक मोर्चे पर भी हालात खराब हैं। 2022 में इमरान खान (Imran Khan) को सत्ता से हटाने के बाद उनके समर्थकों पर सख्त कार्रवाई हुई। हजारों लोग जेल में हैं, और पार्टी के कई नेता अंडरग्राउंड हो गए हैं।
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इमरान खान की पार्टी की पूर्व सांसद आलिया हमजा कहती हैं, ‘अगर जनता का समर्थन नहीं होगा, तो मुश्किल वक्त में क्या होगा?’ उनका इशारा साफ है, पाकिस्तानी सेना (Pakistan Army) का जनता पर भरोसा कम हो रहा है।
पाकिस्तानी सेना के बारे में कहा जाता है कि उसके पास एक पूरा मुल्क है। जनता को अभी तक सरकार से ज्यादा सेना पर भरोसा रहा है, लेकिन हालात बदल रहे हैं।
सेना प्रमुख जनरल सईद असीम मुनीर (General Syed Asim Munir) बोलते तो बहुत हैं, लेकिन उनकी क्षमता उतनी है नहीं। उन्होंने भारत के खिलाफ जो नफरती बयान दिया था, उसी के बाद पहलगाम में आतंकी हमला (Pahalgam Terrorist Attack) हुआ।
मुनीर ने पाकिस्तान की मुश्किल और बढ़ाई ही है। पाकिस्तानी जनता में भी सेना के प्रति नाराजगी बढ़ रही है।
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POK में डर का साया
नीलम वैली का मशहूर रिजॉर्ट केरन अब वीरान पड़ा है। नियंत्रण रेखा (LoC) के आस-पास बसे लोग घरों के पीछे बंकर बना रहे हैं। टूरिज्म ठप है, और सीमा पर बसे गांवों में खामोशी के बीच डर घुल गया है।
पाकिस्तान छोड़ने की चाहत
पाकिस्तान के युवाओं (Pakistani Youth) में निराशा साफ झलकती है। कई युवा अब देश छोड़ने की सोच रहे हैं। उनके लिए पाकिस्तान में रहना बहुत मुश्किल है। इस तरह की रिपोर्ट तो आती रहती हैं, जब किसी इंटरनेशनल इवेंट में गए पाकिस्तानी खिलाड़ी लौटे ही नहीं।
पाकिस्तान के लोग देश छोड़ने का बहान तलाश रहे हैं। इसके लिए उन्हें अरब देशों में जाकर भीख मांगने से भी गुरेज नहीं। पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ के अनुसार, सऊदी अरब ने हाल ही में 4,700 पाकिस्तानी भिखारियों (Pakistani beggars) को देश से निकाला है।
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फेडरल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (FIA) के आंकड़ों के अनुसार, 2024 के अंत तक पिछले तीन वर्षों में 4,000 से अधिक पाकिस्तानी नागरिकों को सऊदी अरब से भीख मांगने के आरोप में निर्वासित किया गया।
भारत से क्या-क्या लेता है पाकिस्तान (Pakistan’s Dependency on India)
पाकिस्तान भले ही भारत से युद्ध (India-Pakistan War) की बात करता हो, लेकिन कई जरूरी चीजों के लिए वो भारत पर निर्भर है। पहलगाम हमले के बाद भारत ने अटारी बॉर्डर (Wagah-Attari Border) बंद कर दिया और व्यापार रोक दिया, जिसका असर पाकिस्तान पर साफ दिख रहा है। आइए देखते हैं, पाकिस्तान भारत से क्या-क्या लेता है:
खाद्य पदार्थ : पाकिस्तान ताजे फल और सब्जियां जैसे प्याज, टमाटर, और आलू के लिए भारत पर आंशिक रूप से निर्भर है। चावल, खासकर गैर-बासमती और डेयरी प्रोडक्ट्स जैसे दूध पाउडर और पनीर भी भारत से आयात करता है। युद्ध (India-Pakistan War) से इन चीजों की कमी हो सकती है, जिससे कीमतें बढ़ेंगी और आम जनता पर बोझ पड़ेगा।
मसाले : पाकिस्तानी बाजारों में भारतीय मसाले खूब इस्तेमाल होते हैं। इनके आयात पर रोक से पाकिस्तान में महंगाई और बढ़ सकती है, खासकर निम्न और मध्यम वर्ग पर इसका ज्यादा असर होगा।
दवाइयां : पाकिस्तान दवाइयों के लिए भी भारत पर काफी हद तक निर्भर है। भारत जेनेरिक दवाओं का बड़ा उत्पादक है, और पाकिस्तान इनका आयात करता है। व्यापार बंद होने से दवाइयों की कमी हो सकती है, जो पाकिस्तान की स्वास्थ्य सेवाओं पर बुरा असर डालेगी।
कच्चा माल : कुछ औद्योगिक कच्चे माल और रसायन भी पाकिस्तान भारत से लेता है, जो उसके छोटे-मोटे उद्योगों के लिए जरूरी हैं।
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भारत के साथ तनाव बढ़ने के बाद पाकिस्तान (India-Pakistan War) को इन चीजों के लिए वैकल्पिक स्रोत तलाशने होगे, जैसे – चीन (China), तुर्की या दक्षिण-पूर्व एशियाई देश, लेकिन इसमें समय, निवेश और बुनियादी ढांचे की जरूरत होगी, जो उसकी मौजूदा आर्थिक स्थिति में एक बड़ी चुनौती है।
भारत के साथ तनाव डूबते पाकिस्तान (India-Pakistan War) के लिए बेहद नुकसानदेह है। उसकी स्थिति इस वक्त बेहद नाजुक है। आर्थिक संकट, राजनीतिक अस्थिरता और जनता की बेचैनी उसे युद्ध की स्थिति में और कमजोर कर सकती है। भारत पर उसकी निर्भरता भी एक बड़ा फैक्टर है, जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।



