
अमेरिका ने अक्टूबर में गाजा युद्ध (Gaza War) को समाप्त करने के लिए एक नया प्रस्ताव तैयार किया है (US Plan for Gaza), जिसने इजराइल और फिलिस्तीन की राजनीति में नई हलचल पैदा कर दी है।
इस प्रस्ताव के तहत अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) चाहते हैं कि इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू (Benjamin Netanyahu) बड़े और कठिन समझौते करें। इसमें सबसे अहम बिंदु यह है कि गाजा में भविष्य की सत्ता व्यवस्था में फिलिस्तीनी अथॉरिटी (Palestinian Authority) को केंद्रीय भूमिका दी जाए।
अमेरिकी प्रस्ताव (US Plan for Gaza) के अनुसार, युद्ध खत्म होने के बाद एक अंतरराष्ट्रीय संस्था अस्थायी रूप से यहां प्रशासन संभालेगी। इसी दौरान फिलिस्तीनी अथॉरिटी की भूमिका धीरे-धीरे बढ़ाई जाएगी। इस प्रक्रिया की निगरानी के लिए ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री टोनी ब्लेयर (Tony Blair) का नाम संभावित प्रशासक के रूप में सामने आया है।
फिलिस्तीनी अथॉरिटी की स्थापना 1994 के ओस्लो समझौते (Oslo Accords) के तहत हुई थी और वर्तमान में इसका नेतृत्व महमूद अब्बास (Mahmoud Abbas) कर रहे हैं। हालांकि, 2006 के चुनावों के बाद गाजा पर हमास (Hamas) ने कब्जा कर लिया था।
अमेरिकी योजना (US Plan for Gaza) के अनुसार, हमास को भविष्य की किसी भी सत्ता संरचना में जगह नहीं दी जाएगी और लंबे समय में यह प्रक्रिया फिलिस्तीनी राज्य (Palestinian Statehood) की ओर रास्ता खोल सकती है।
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अमेरिकी योजना (US Plan for Gaza) के 21 बिंदु
- अमेरिका की ओर से बनाए गए इस ब्लूप्रिंट (US Plan for Gaza) में कुल 21 प्रावधान बताए गए हैं।
- गाजा में दैनिक प्रशासन देखने के लिए एक अस्थायी ट्रांजिशन बॉडी का गठन।
- धीरे-धीरे इजराइली सेना (Israeli Defence Forces) की वापसी।
- युद्ध के दौरान विस्थापित फिलिस्तीनियों (Displaced Palestinians) की गाजा में वापसी की अनुमति, जो ट्रंप प्रशासन की पिछली योजनाओं से बिल्कुल अलग है।
- हमास का कोई दखल नहीं।
अमेरिकी अधिकारियों का मानना है कि इस योजना (US Plan for Gaza) को लागू करने के लिए कतर (Qatar) की भूमिका अहम होगी। वॉशिंगटन का विश्वास है कि अगर फिलिस्तीनी अथॉरिटी को शामिल किया गया तो अरब देश भी हमास पर दबाव डालकर इजराइली बंदियों की रिहाई सुनिश्चित करने में सहयोग करेंगे।
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नेतन्याहू के लिए मुश्किल स्थिति
इस योजना ने प्रधानमंत्री नेतन्याहू के लिए एक बड़ा राजनीतिक संकट खड़ा कर दिया है। वह सोमवार को व्हाइट हाउस में ट्रंप से मुलाकात करने वाले हैं, जहां इस योजना के विवादित पहलू सबसे बड़ा मुद्दा होंगे।
नेतन्याहू पहले ही कई बार साफ कर चुके हैं कि गाजा में फिलिस्तीनी अथॉरिटी की वापसी को वह सुरक्षा जोखिम मानते हैं। अगर वह अमेरिकी प्रस्ताव मानते हैं, तो यह उनकी नीति से बिल्कुल अलग होगा, लेकिन अगर इनकार करते हैं, तो इजराइल और अमेरिका (US-Israel Relations) के रिश्तों पर असर पड़ सकता है।
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