

Holika Dahan
होलिका दहन का पर्व फाल्गुन शुक्ल पूर्णिमा को मनाया जाता है। इस वर्ष, होलिका दहन की तिथि 13 मार्च 2025 को है। शुभ मुहूर्त की बात करें तो यह गुरुवार रात 11:26 बजे से देर रात 12:30 बजे तक रहेगा। इस दौरान विधिपूर्वक होलिका दहन करने से नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होती है और सुख-समृद्धि का आगमन होता है।
होलिका दहन का महत्व (Importance of Holika Dahan)
होलिका दहन बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है। यह पर्व भक्त प्रह्लाद और दुष्ट राजा हिरण्यकश्यप की कथा से जुड़ा है।
होलिका दहन (Holika Dahan) की पौराणिक कथा के अनुसार, हिरण्यकश्यप नामक एक अहंकारी राक्षस राजा था, जो अपने पुत्र प्रह्लाद की भगवान विष्णु में अटूट भक्ति से क्रोधित था। उसने कई प्रयास किए ताकि प्रह्लाद विष्णु की पूजा करना छोड़ दे, लेकिन वह असफल रहा। अंत में, उसने अपनी बहन होलिका की मदद ली, जिसे आग में न जलने का वरदान प्राप्त था।
योजना के तहत, होलिका प्रह्लाद को गोद में लेकर आग में बैठ गई, लेकिन भगवान विष्णु की कृपा से प्रह्लाद सुरक्षित बच गया, जबकि होलिका स्वयं जलकर भस्म हो गई। इस घटना को बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक के रूप में हर वर्ष होलिका दहन के रूप में मनाया जाता है।
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होलिका दहन की पूजा विधि (Holika Dahan Puja Vidhi)
- सुबह स्नान कर लें और व्रत का संकल्प लें।
- होलिका दहन (Holika Dahan) स्थल को शुद्ध करें और गोबर से लिपाई करें।
- होलिका दहन (Holika Dahan) के लिए लकड़ियां, उपले, गेंहू, चना, जौ और अन्य पूजन सामग्री एकत्र करें।
- होलिका और भक्त प्रह्लाद की प्रतिमा स्थापित करें और भगवान नरसिंह की पूजा करें।
- शुभ मुहूर्त में होलिका की पूजा करें और अग्नि प्रज्वलित करें।
- होलिका की तीन बार परिक्रमा करें और उसमें गेंहू, चने की बालियां, जौ और गुलाल चढ़ाएं।
- होलिका की राख को घर लाएं, इससे नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है।
- अगर घर में वास्तु दोष है, तो होलिका की राख को दक्षिण-पूर्व दिशा में रखें।
- Holika Dahan की अग्नि देखने के बाद ही भोजन करें।
होलिका दहन (Holika Dahan) के दिन क्या करें?
- बच्चों को लकड़ी की तलवार दें और उन्हें साहसी बनने के लिए प्रेरित करें।
- उन्हें पकवान जैसे पूड़ी, मालपुआ, खीर, हलवा और कचौड़ी खिलाएं।
- हनुमानजी की पूजा करें और पूरे परिवार के साथ चंद्र दर्शन करें। यह अकाल मृत्यु के भय से मुक्ति दिलाता है।
होलिका दहन के मंत्र (Holika Dahan Mantra)
होलिका पूजन के दौरान निम्न मंत्र का जाप करें:
अहकूटा भयत्रस्तै: कृता त्वं होलि बालिशै:
अतस्वां पूजयिष्यामि भूति-भूति प्रदायिनीम।
होलिका की भस्म लगाने के दौरान इस मंत्र का उच्चारण करें:
वंदितासि सुरेन्द्रेण ब्रह्मणा शंकरेण च।
अतस्त्वं पाहि मां देवी! भूति भूतिप्रदा भव।।
होलिका दहन (Holika Dahan) का गहरा अर्थ
होली से एक दिन पहले (Holi 2025) होलिका दहन बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। इस दिन होलिका के साथ घर का कूड़ा-कबाड़ और बेकार की चीजें भी जलाते हैं। इसका मतलब सिर्फ बाहर की सफाई नहीं, बल्कि अंदर से भी बुराइयों को दूर करना है।
होलिका दहन हमें सिखाता है कि जैसे भक्त प्रह्लाद ने भगवान में अटूट विश्वास रखा, वैसे ही हमें भी ईश्वर पर भरोसा रखना चाहिए। अगर हम अपने मन में भक्ति और सच्चाई की ज्योति जलाएंगे, तो हमारे अंदर छिपे गुस्सा, अहंकार, लालच, ईर्ष्या और नफरत जैसे बुरे भाव खत्म हो सकते हैं।
आज भी हमारे जीवन में बुरी आदतें और गलत सोच बनी रहती हैं। होलिका दहन का असली मतलब तभी पूरा होगा जब हम अपने अंदर की बुराइयों को जलाकर, अच्छे विचारों और संस्कारों को अपनाएंगे।