
Operation Sindoor
6 मई की रात जब देश सो रहा था, तब दिल्ली के साउथ ब्लॉक में नींद पर पहरा था। वहां कुछ अफसरों की आंखों में नींद नहीं, बदले की चिनगारी थी। दो रातों से भारतीय सेना, वायुसेना और रक्षा मंत्रालय के टॉप ऑफिसर एक मिशन को अंजाम देने की तैयारी कर रहे थे – नाम था ऑपरेशन सिंदूर (Operation Sindoor)।
यह वही बदला था, जो कश्मीर के पहलगाम (Pahalgam Terror Attack) में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले के जवाब में लिया गया। हमला जिसमें 26 निर्दोष पर्यटकों की जान गई थी। ठीक दो हफ्तों बाद सेना ने तय किया कि आतंक के अड्डों को नेस्तनाबूद कर दिया जाएगा, लेकिन बेहद सटीक, बेहद शांत और बेहद तेज तरीके से।
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Operation Sindoor की भनक बेहद सीमित लोगों को थी। सुरक्षा के लिहाज से कई सीनियर आर्मी अफसरों तक आम कर्मचारियों की पहुंच बंद कर दी गई थी। रात 10 बजे के बाद आखिरी निर्देश और मीडिया को सूचना देने की प्लानिंग शुरू हुई। पूरी बिल्डिंग वॉर मोड में थी। इसी दौरान एक टीम को एक अलग काम सौंपा गया, ऑपरेशन सिंदूर (Operation Sindoor) का लोगो डिजाइन करना।
45 मिनट में बना Operation Sindoor का लोगो
जो लोगो तैयार हुआ, वह केवल नाम नहीं, प्रतीक है। आतंकियों ने जिस सिंदूर को उजाड़ने की कोशिश की थी, उसी के जरिये उनकी सरजमीं को हिंदुस्तान ने उनके ही खून से लाल कर दिया। इस लोगो को बनाने में 45 मिनट लगे। लोगो में सिंदूर की बिंदी के रूप में प्रतिशोध था, उसके चारों ओर गर्व था और उसके रंग में लहू से लिपटी चेतावनी।
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25 मिनट में तबाह हुए 9 आतंकी ठिकाने
6 मई की आधी रात या कह लीजिए कि 7 मई की शुरुआत होते ही ऑपरेशन शुरू हुआ। 25 मिनट, बस इतने ही समय में भारतीय सेना और वायुसेना ने PoK और पाकिस्तान के अंदर मौजूद 9 आतंकी ठिकानों को मटियामेट कर दिया। इनमें बहावलपुर, मुरिदके और मुजफ्फराबाद जैसे इलाके शामिल थे, जो लंबे समय से जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा जैसे संगठनों के गढ़ माने जाते हैं।
ऑपरेशन पूरा होते ही सब कुछ बेहद सिलसिलेवार हुआ। रात 1:44 पर रक्षा मंत्रालय की प्रेस रिलीज जारी हुई। ठीक 7 मिनट बाद, रात 1:51 पर इंडियन आर्मी के X (ट्विटर) हैंडल से ऑपरेशन सिंदूर की सफलता का ऐलान किया गया। उसी पोस्ट के साथ वो प्रतीक चिह्न भी जारी हुआ।
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भारत के हमले के बाद पाकिस्तान ने तुरंत प्रतिक्रिया दी – हमले की निंदा की, जवाबी कार्रवाई की धमकी दी और भारतीय विमानों को गिराने का दावा भी किया। लेकिन दुनिया के बड़े देशों ने संतुलित रुख अपनाया। संयुक्त राष्ट्र, अमेरिका, ब्रिटेन और चीन ने संयम बरतने की अपील की लेकिन भारत की कार्रवाई को ‘सेल्फ डिफेंस’ की भावना से भी देखा।
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इन आतंकी ठिकानों को बनाया गया निशाना
- मरकज तैयबा कैंप – नियंत्रण रेखा (LoC) से लगभग 25 किलोमीटर (16 मील) दूर स्थित यह कैंप आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा (LeT) का मुख्यालय था।
- मरकज सुब्हान कैंप – यह पाकिस्तान के अंदर सबसे गहराई में स्थित निशाना था, जो सीमा से करीब 100 किमी दूर है। यह कैंप इस्लामी आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद (JeM) का मुख्यालय था। इस हमले में मसूद अजहर के 10 रिश्तेदार भी मारे गए हैं।
- मेहमूना जोया कैंप – यह कैंप हिजबुल मुजाहिदीन नामक आतंकी संगठन का प्रशिक्षण केंद्र था, जो सीमा से लगभग 12 किलोमीटर दूर स्थित है।
- गुलपुर कैंप – यह लश्कर-ए-तैयबा का एक अड्डा था, जो सीमा से लगभग 30 किलोमीटर दूर स्थित था। Operation Sindoor में इसे भी नष्ट कर दिया गया।
- सरजाल कैंप – यह पाकिस्तान की सीमा के भीतर करीब 6 किलोमीटर अंदर था। ऑपरेशन सिंदूर (Operation Sindoor) में यहां भी बम बरसे।
- अब्बास कैंप – यह कैंप सीमा से करीब 13 किलोमीटर दूर था। यहां लश्कर के आत्मघाती हमलावरों को प्रशिक्षण दिया जाता था।
- सय्यदना बिलाल कैंप – यहां जैश-ए-मोहम्मद का ट्रेनिंग कैंप था। ऑपरेशन सिंदूर (Operation Sindoor) ने इसे नेस्तनाबूद कर दिया।
- सवाई नाला कैंप – यह जगह नियंत्रण रेखा से करीब 30 किलोमीटर दूर स्थित था। यहां भी लश्कर-ए-तैयबा के आतंकी ट्रेनिंग लेते थे।
- बर्नाला कैंप – इस जगह आतंकियों को हथियार चलाने का प्रशिक्षण दिया जाता था।



