

राजस्थान में बांसुरी जैसा एक वाद्य यंत्र होता है। नाम है नड़। इसे बीन के नाम से भी जानते हैं। इसे बजाने वाला वाद्य यंत्र में सांस फूंकने के साथ गीत भी गाता जाता है। जैसलमेर के करणा भील को महारत हासिल थी इसमें। जब वह नड़ बजाता तो सुनने वाले ठहर जाते। करीब 8 फुट लंबी मूंछों वाले उसके रौबदार चेहरे को देखकर सहज यकीन करना मुश्किल होता था कि वह इतना शानदार कलाकार है।
और यकीन होता भी क्यों, उसका अतीत जो लोगों के सामने था। करणा डाकू था और वह भी ऐसा-वैसा नहीं। उसके नाम की दहशत सीमा पार पाकिस्तान तक में थी। उस समय अंतरराष्ट्रीय बॉर्डर पर बाड़बंदी नहीं थी। ऐसे में करणा दोनों देशों के बीच खुलेआम घूमता। कई बार तो वह पाकिस्तान पार करके अफगानिस्तान तक चला गया।
50 और 60 के दशक में इस पूरे इलाके में करणा की दहशत थी। रेगिस्तान में वह ऊंट पर निकलता था और साथ में हमेशा कुल्हाड़ी रखता। तीन-तीन मुल्कों में उसने अपराध किए। उस पर हत्या, लूट, डकैती समेत 100 से ज्यादा मुकदमे दर्ज थे।
यह भी पढ़ें : कुंभ में जब हिंदुओं का धर्म बदलने की साजिश हुई
इस खून-खराबे के बावजूद करणा को नड़ बजाने का शौक था। जब वह वाद यंत्र उठा लेता तो लोग मंत्र मुग्ध से उसे सुनने लगते। अफगानिस्तान में ऐसे ही दिन उसके नड़ वादन को लाली नाम की लड़की ने सुना। दोनों एक-दूसरे को पसंद करने लगे। लाली के प्रभाव में आकर करणाा ने अपराध की दुनिया छोड़ दी।
जमीन के विवाद में बना खूनी
1965 की बात है। करणा अब डकैत नहीं था। उसने अपराध से तौबा कर ली थी और सामान्य जीवन जीने की कोशिश कर रहा था। इसी दौरान उसने जैसलमेर में एक जमीन खरीदी। लेकिन लगता है कि नियति करणा को इतनी आसानी से नहीं छोड़ने वाली थी।
उसी जमीन का एक और दावेदार खड़ा हो गया। उसका नाम इलियास था। दोनों में से कोई भी पीछे हटने को तैयार नहीं था। बात बिगड़ने लगी और एक दिन करणा ने इलियास की गोली मारकर हत्या कर दी।
इस बार करणा पकड़ा गया और उसे उम्रकैद की सजा हुई। लेकिन वह जेल तोड़कर फरार हो गया। कहते हैं कि उसने हाथों से ही जेल की दीवार तोड़ दी थी। हालांकि वह अधिक समय तक आजाद नहीं रह पाया और फिर पकड़ा गया। इस बार उसे ज्यादा कड़े पहरे में रखा गया।
यह भी पढ़ें : इस तरह तो बीजेपी और मोदी को नहीं हरा पाएगा I.N.D.I.A.
राष्ट्रपति से मिली माफी
जेल में करणा की दोस्त उसकी नड़ थी। उसने पूरा ध्यान इसके रियाज पर लगा दिया। उसकी कला और निखरने लगी। धीरे-धीरे यही उसकी पहचान बन गई। जेल में लोग भूल गए कि वह हत्या के जुर्म में सजा काट रहा है और एक कुख्यात डकैत रह चुका है। यहां तक कि जेल में जब कोई कार्यक्रम होता, तो उसमें करणा को जरूर बुलाया जाता। जैसलमेर में कोई सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित होता, तो वहां भी करणा की मौजूदगी जरूर होती।
इसी नड़ की वजह से उसकी किस्मत मेहरबान हुई। तत्कालीन राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह जैसलमेर आए हुए थे। करणा को उनके सामने भी कला का प्रदर्शन करने का मौका मिला। उसकी नड़ ने राष्ट्रपति पर भी जादू कर दिया। उसकी सजा माफ हो गई और वह बाहर आकर एक आम जिंदगी बिताने लगा।
करणा ने अपराध से पूरी तरह दूरी बना ली थी और अब उसकी एक ही पहचान थी, नड़ वादक। लेकिन 2 अक्टूबर 1988 की शाम। एक ऊंट गाड़ी उसके मोहल्ले में आकर रुकी, जिसमें एक सिरकटी लाश थी। वह लाश करणा की थी।
यह भी पढ़ें : कुंभ से टैक्स वसूल मालामाल हो गए थे अंग्रेज
23 साल इंतजार और फिर हत्या
करणा का पूरा जीवन किसी फिल्म की कहानी सरीखा लगता है। वह कभी अपने अतीत से नहीं निकल पाया। उसे हमेशा यह डर लगता था कि उसकी पुरानी जिंदगी का कोई दुश्मन उसकी जान ले लेगा। आखिर में वही हुआ।
करणा की हत्या उसके एक पुराने दुश्मन ने ही की थी। वह इलियास का बेटा कायम था। हुआ यह कि जब करणा ने इलियास को गोली मारी तो कायम वहां मौजूद था। तभी उसने तय कर लिया था कि वह अपने पिता की हत्या का बदला लेगा, लेकिन तब उसकी उम्र बहुत कम थी।
कायम ने 23 साल इंतजार किया। इस दौरान उसने करणा के बारे में सारी जानकारी जुटा ली। उसे पता था कि वह रोज शाम को पशुओं के लिए चारा लेने निकलता था। 2 अक्टूबर 1988 की शाम को कायम ने तीन और लोगों के साथ मिलकर करणा की हत्या कर दी।
लाश को ऊंट गाड़ी में रखकर करणा के घर भेज दिया गया, जबकि सिर लेकर कायम फरार हो गया। पुलिस जांच में सामने आया कि हत्या में कायम के तीन रिश्तेदार भी शामिल थे। पुलिस ने इनमें से दो को गिरफ्तार कर लिया, जबकि दो कभी पकड़ में नहीं आए।
यह भी पढ़ें : 99 के फेर में फंस गई कांग्रेस!
पुलिस ने करणा के सिर की काफी तलाश की। चूंकि मौत के समय तक वह एक प्रसिद्ध लोक कलाकार बन चुका था, इसलिए पुलिस के सामने केस को सॉल्व करने की चुनौती थी। करणा के परिवार वालों ने सिर न मिलने पर अंतिम संस्कार से इनकार कर दिया। उन्होंने तय किया कि जब सिर मिल जाएगा तो पूरी लाश का विधिवत अंतिम संस्कार करेंगे। सोनार किले में पर्यटकों के सामने करणा नड़ बजाया करता था। उसी किले के बाहर उसके धड़ को दफना दिया गया।
बाद में पता चला कि कायम और उसका एक रिश्तेदार पाकिस्तान भाग गए थे। करणा के सिर को कायम अपने साथ ले गया था। पाकिस्तान के साथ प्रत्यर्पण संधि नहीं थी, तो अपराधियों को कभी भारत नहीं लाया जा सका।