

किसी तरह गिरते-पड़ते पाकिस्तान की क्रिकेट टीम (Pakistan cricket team) 1992 के विश्व कप में फाइनल तक तो पहुंच गई थी, लेकिन वहां पहले ही 10 ओवरों में उसकी हालत खराब हो चुकी थी। ढाई की औसत से रन बन रहे थे और दो विकेट गिर चुके थे। तब उतरे कप्तान इमरान खान (Imran Khan), जिन्होंने 110 गेंदों पर 72 रनों की पारी खेली।
आज के लिहाज से इनिंग्स स्लो कही जाएगी, लेकिन तब यह मैच जिताने वाला प्रदर्शन था। इमरान की इसी पारी की बदौलत पाकिस्तानी टीम 249 के चुनौतीपूर्ण स्कोर तक पहुंच सकी और फिर मैच जीतकर अपना इकलौता वनडे विश्वकप (ICC ODI World Cup) भी उठा लिया।
इमरान तब ग्रेट सेवियर थे, लेकिन अब वही इमरान पाकिस्तान के लिए सबसे बड़ा खतरा समझे जा रहे हैं, कम से कम सेना और सरकार की नजर में। कई लोगों के लिए वह भष्मासुर हैं। क्या वाकई इमरान की वजह से पाकिस्तान का संकट और बढ़ता जाएगा?
ऐसे पहुंचे थे सत्ता तक
इमरान अब भी पाकिस्तान की जनता के लिए ‘कप्तान’ हैं। अपने खेल के दिनों में उनका जो आभामंडल हुआ करता था, लोग उससे अब तक नहीं निकल सके हैं। पाकिस्तान की एक बड़ी आबादी क्रिकेटर इमरान और राजनेता इमरान (Imran) में अंतर नहीं कर पा रही। हालांकि बात बस इतनी-सी नहीं है। इसके पीछे पाकिस्तान की अपनी राजनीतिक स्थिति है (Political situation of Pakistan), जिसकी डोर उसकी सेना थामे हुए है।
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पहले समझिए कि इमरान सत्ता तक पहुंचे कैसे? जवाब है, सेना की मदद से। साल 2018 में हुए इलेक्शन में इमरान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) सत्ता में पहुंची थी। तब किसी के मन में यह संदेह नहीं था कि इमरान की यह सफलता उनके अकेले की नहीं है। सेना ने इसकी जमीन तैयार करके दी है।
इमरान के सबसे बड़े प्रतिद्वंद्वी थे नवाज शरीफ (Nawaz sharif), जिन्हें भ्रष्टाचार के मामले में ऐसा घेरा गया कि उन्हें देश छोड़कर जाना पड़ा। बिना किसी खास गतिरोध के इमरान पीएम की पोस्ट तक पहुंच गए। कई जानकार कहते भी हैं कि उन्हें इलेक्ट नहीं, सिलेक्ट किया गया था। लेकिन, सत्ता में रहते हुए वह पाकिस्तानी पॉलिटिक्स का सबसे जरूरी सबक याद नहीं रख पाए कि वह केवल प्यादे हैं और उन्हें सेना का हुक्म हर हाल में पूरा करना है।
सेना का लाडला बिगड़ गया
इमरान की स्वतंत्र ख्वाहिशों ने अंगड़ाई लेनी शुरू कर दी और इसमें सबसे अहम मोड़ वह था, जब उन्होंने अफगानिस्तान से निकल रहे अमेरिका की खुलेआम आलोचना शुरू कर दी। इमरान ने इसे इस्लाम की जीत बताते हुए तालिबान (Taliban) को बधाई दी थी। यह बात अमेरिका को पचनी नहीं थी और न पची।
फिर, इमरान ने यह भी प्रचार करना शुरू कर दिया कि वह पाकिस्तान को आदर्श शरिया के हिसाब से चलाना चाहते हैं, लेकिन इसमें रोड़े अटकाए जा रहे। फिर खबरें आई कि इमरान तत्कालीन सेना प्रमुख कमर जावेद बाजवा को हटाना चाहते हैं। यह वो आखिरी गलती है, जिसे कोई पाकिस्तानी राजनेता करना चाहेगा। इसका परिणाम यह हुआ कि इमरान खान पाकिस्तानी इतिहास के पहले पीएम बन गए, जिसे 2022 में अविश्वास प्रस्ताव के जरिये सत्ता से हटाया गया।
लगातार दर्ज होते केस और हंगामा
इमरान खान के सत्ता से हटने के बाद से दो चीजें बदस्तूर जारी हैं – उन पर नए-नए मुकदमे दर्ज होना और खूनी विरोध प्रदर्शन। गोपनीयता कानून, सरकारी तोहफे बेचने का आरोप, मर्डर की कोशिश, दंगे भड़काना – 200 से ज्यादा केस इमरान पर लदे हुए हैं और मई 2023 से वह जेल में हैं।
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अपनी गिरफ्तारी के पहले इमरान (Imran Khan news) पूरे देश में घूम-घूमकर तकरीरें कर रहे थे और खुलेआम सेना को चुनौती दे रहे थे। उन्होंने आरोप लगाया कि अमेरिका के इशारे पर उन्हें पद से हटाया गया। उनकी गिरफ्तारी के समय पूरे पाकिस्तान में हिंसक विरोध-प्रदर्शन हुए थे। 26 नवंबर 2024 को ही एक बार फिर इस्लामाबाद (Protest in Islamabad) में खून-खराबा हुआ, जब सुरक्षाकर्मियों ने इमरान समर्थकों पर गोलियां चलाईं।
इतना हंगामा किसलिए
पाकिस्तान में फरवरी 2024 में चुनाव हुए (Election in Pakistan), लेकिन इमरान की पार्टी PTI इसमें हिस्सा नहीं ले सकी। उसके सिंबल को छीन लिया गया था और इमरान पर चुनाव लड़ने पर बैन था। PTI के तमाम नेताओं ने स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा। इमरान समर्थकों का आरोप है कि सेना ने जानबूझकर उनके नेता को हरवाया।
हालांकि देखा जाए तो इसमें कोई नई बात नहीं। इसी सेना (Pakistani Army) ने इमरान को जितवाया भी तो था! खैर, PTI समर्थकों की तीन मांगें हैं – इमरान की जेल से रिहाई, 26वें संविधान संशोधन को वापस लेना जिसके जरिये न्यायपालिका के अधिकार सीमित किए गए और सही चुनाव परिणाम जारी करना। जाहिर है, ये तीनों मांगें पाकिस्तानी सेना को सूट नहीं करतीं, तो उसने जनता को शूट करने का ऑप्शन चुन लिया।
युद्ध में घिर रहा पाकिस्तान
इमरान ने पाकिस्तान में जंग का एक नया मोर्चा खोल दिया है। उनका देश पहले ही आंतरिक कलह से जूझ रहा है। बलूचिस्तान (Balochistan) में आजादी की मांग करने वाले पहले से पाकिस्तानी सेना और सरकार की नाक में दम किए हुए हैं। बलोच बिल्कुल नहीं चाहते कि उनके यहां पाकिस्तान से कोई कदम भी रखे। 2024 में उन्होंने गैर-बलोच लोगों पर हमले तेज कर दिए।
जब सेना का ध्यान उधर होना चाहिए था, तभी इमरान समर्थकों ने बवाल शुरू कर दिया। ऐसे में पूरे देश का सुरक्षा तंत्र चरमरा गया है। इससे राजनीतिक अस्थिरता भी बढ़ेगी।
आर्थिक संकट गहराएगा (Pakistan’s economic crisis)
2022 से ही पाकिस्तान पर दिवालिया होने का खतरा मंडरा रहा है। एक वक्त तो उसके पास केवल दो हफ्ते के खर्च जितना फंड ही बचा था। कर्ज ने ही उसे बचाया हुआ है। International Monetary Fund (IMF) पिछले दो साल में उसे चार अरब डॉलर से ज्यादा की मदद दे चुका है। लेकिन IMF की शर्त है कि पाकिस्तान को आर्थिक सुधार के कठोर कदम उठाने होंगे, जैसे कि टैक्स में बढ़ोतरी, सब्सिडी कम करना, पेट्रोल-डीजल के रेट बढ़ाना, बिजली महंगी करना। मरता क्या न करता वाली स्थिति में पहुंच चुके पाकिस्तान ने इन सारी शर्तों पर हामी भर दी है।
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IMF के साथ नई डील के मुताबिक उसने करीब डेढ़ लाख सरकारी नौकरियां घटाई हैं और 6 मंत्रालयों को बंद किया है ताकि खर्चों पर लगाम लगाई जा सके। इसका कुछ असर कह सकते हैं कि 2023 में जो जीडीपी ग्रोथ एक फीसदी के नीचे चली गई थी, वह 2023 में 2.5 प्रतिशत रही। इसके 2025 में 2.8 प्रतिशत होने का अनुमान है।
इसी तरह, 2024 में पाकिस्तान का वित्तीय घाटा भी 681 मिलियन डॉलर पर आ गया, जबकि एक साल पहले यह 3.2 बिलियन डॉलर से ज्यादा था। इस्लामाबाद के आर्थिक हालात को देखते हुए इस प्रदर्शन को बहुत अच्छा कहा जाएगा।
लेकिन, ये सब बातें नवंबर में हुए विरोध प्रदर्शन के पहले की हैं। PTI के प्रदर्शन के चलते राजधानी इस्लामाबाद में लॉकडाउन लगाना पड़ा और तब हर दिन अरबों रुपये का नुकसान हुआ। अब कई आर्थिक जानकारों को इस बात में संदेह है कि पाकिस्तान अपने लक्ष्य हासिल कर पाएगा।
सऊदी अरब को नाराज करने पर तुले इमरान
सत्ता से हटते-हटते भी इमरान ने अमेरिका के साथ संबंधों को बिगाड़ने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी। उनके आरोपों पर वॉशिंगटन ने कड़ी आपत्ति जताई थी और जनरल बाजवा को तब पेंटागन में जाकर हाजिरी लगानी पड़ी थी। अमेरिका भले ही अफगानिस्तान से चला गया हो, लेकिन उसके इशारे पर ही IMF से पाकिस्तान को मदद मिल पा रही है। यह बात सेना बखूबी जानती है।
अब इमरान खान पाकिस्तान के सबसे बड़े दानदाता सऊदी अरब को नाराज कर रहे हैं। नवंबर में उनकी पत्नी बुशरा बीबी (Bushra Bibi) ने एक विडियो संदेश में दावा किया कि जब 2019 में इमरान खान मदीना से वापस आए थे, तब पाकिस्तान के तत्कालीन सेना प्रमुख बाजवा के पास सऊदी अरब से फोन गया कि आप सत्ता में किसे लेकर आ गए हैं।
बुशरा के मुताबिक, ‘बाजवा से कहा गया कि हम शरीअत की सत्ता खत्म करना चाहते हैं और तुम शरीअत के ठेकेदार को ले आए। हमें यह नहीं चाहिए।’ माना गया कि बुशरा बीबी ने इमरान के इशारे पर यह बयान दिया। मकसद था यह दिखाना कि इमरान खान (Imran Khan) इस्लाम के पक्के पाबंद हैं और पाकिस्तान को शरीअत की राह पर ले जाना चाहते हैं, वह नंगे पैर उमरा करने गए थे। इस बयान से समर्थकों को एकजुट करने की योजना थी।
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एक मकसद यह भी निकल रहा है कि सऊदी अरब की तरफ से पाकिस्तान (Pakistan News) को बहुत आर्थिक मदद मिलती है। अगर वह बंद हो जाए, तो शहबाज शरीफ (shehbaz sharif) सरकार के लिए देश चलाना मुश्किल हो जाएगा। महंगाई और बेरोजगारी से बेहाल जनता तब सड़कों पर उतर आएगी। इस तरह बुशरा बीबी से बयान दिलाकर इमरान ने एक तीर से दो शिकार करने की योजना बनाई थी। इस पर सरकार की तरफ से तुरंत प्रतिक्रिया आई। बुशरा बीबी पर केस भी दर्ज किया गया।
इमरान अच्छे ऑलराउंडर थे, लेकिन अब राजनीति में भी वह दोनों तरफ से खेलना चाह रहे हैं। इसने उनके अपने देश के लिए मुश्किलें खड़ी कर दी हैं। इमरान को सेना न तो पूरी तरह दरकिनार कर पा रही है और न स्वीकार। अब देखना होगा कि उनका अगला शॉट क्या होता है?