

पाकिस्तान में चुनावों की किस्मत उनके होने के पहले ही तय हो जाती है। और पूरा माहौल यही कह रहा था कि 2018 में किस्मत इमरान खान (Imran Khan) पर मेहरबान थी। उन्हें चुन लिया गया था और बस जनता की मुहर लगनी बाकी थी। पांच महीने बाद यह भी हो जाता। किस्मत ने सब पहले से तय कर रखा था और पाकिस्तान में ऐसी किस्मत को सेना भी कहते हैं। इमरान को अब कुछ करना नहीं था, लेकिन उनकी पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) के नेता चाहते थे कि वह कम से कम कुछ करते हुए तो दिखें। लेकिन इमरान उन दिनों कुछ खोए-खोए रहते, अचानक गायब हो जाते।
पाकिस्तान के जाने-माने मीडिया हाउस DAWN की एक रिपोर्ट के मुताबिक, फरवरी 2018 में जब नैशनल असेंबली का सेशन चल रहा था, तब भी इमरान (Imran) उसमें शामिल नहीं हुए। उधर संसद में तकरीरें हो रही थीं और इधर इमरान एक यात्रा पर निकले हुए थे। पूरे दिन के सफर के बाद अपने कुछ भरोसेमंद लोगों के साथ वह जब पाकिस्तानी पंजाब के पाकपट्टन में पहुंचे, तो अंधेरा घिर चुका था।
इस्लामाबाद (Islamabad) की सरगर्मियों से दूर इमरान का इस शहर में आना कोई बड़ी बात नहीं थी, लेकिन अगर ऐसा बस एक बार हुआ होता। इसी शहर में सूफी संत बाबा फरीद (Baba Farid) की मजार है और दूर-दराज से लोग अपनी मन्नत लेकर यहां आते हैं। इमरान की मन्नत तो बहुत पुरानी थी और अब जब उसके पूरा होने की उम्मीद लग रही थी, तो उनका माथा टेकने आना हैरानी भरा नहीं होना चाहिए था। सूफी संत के प्रति उनका झुकाव किसी से छिपा नहीं था।
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लेकिन हाल में इस शहर में इमरान की आमद बढ़ गई थी और इसी बात ने एक अफवाह को जन्म दिया था। अफवाह उनके और उस आध्यात्मिक गुरु के संबंधों को लेकर जिसे इलाके के लोग पिंकी के नाम से भी जानते थे। पिंकी यानी बुशरा मनेका, जो आगे चलकर बुशरा बीबी (Bushra Bibi) हो गईं। 2018 की शुरुआत में चुनाव के साथ-साथ सबसे बड़ा सवाल यही था कि क्या इमरान खान तीसरी बार निकाह पढ़ने जा रहे हैं और वह भी बुशरा के साथ? कुछ वक्त बाद ही इसका जवाब मिल गया। जुलाई 2018 में इलेक्शन होने से करीब पांच महीने पहले ही इमरान और बुशरा ने शादी कर ली।
इमरान के साथ सार्वजनिक जीवन में सफेद या काले बुरखे में सिर से पांव तक ढकी नजर आने वाली बुशरा बीबी तब से ही सुर्खियों में हैं। उनकी तमाम आउट ऑफ फोक्स्ड पिक्चर्स की तरह उनका जीवन भी धुंधला-धुंधला दिखता है। वह रहस्य से भरी हैं। PTI के भीतर ही कई लोग डरते हैं उनसे और पाकिस्तान की तमाम आवाम को लगता है कि बुशरा के पास ऐसी शक्तियां हैं, जिनके जरिये इमरान प्रधानमंत्री पद तक पहुंचे।
क्या बुशरा बीबी आईने में नहीं दिखतीं?
इमरान से शादी करने के कुछ वक्त बाद ही बुशरा बीबी ने PTI की सदस्यता ले ली। हालांकि इमरान की दूसरी बेगम रेहम खान जहां राजनीति में सक्रिय दिखना चाहती थीं, वहीं बुशरा ने कभी ऐसी इच्छा नहीं जताई। रेहम के साथ इमरान का निकाह केवल 10 महीने चला था, 2015 में दोनों का तलाक हो गया।
रेहम के साथ शादी को जीवन का सबसे बुरा फैसला बताने वाले इमरान इस रिश्ते से इसलिए हटे, क्योंकि उन्हें अपनी बीवी का राजनीति में दखल देना पसंद नहीं था। बुशरा (Bushra) इस मामले में शुरू से दूर रहीं। लेकिन ज्यादा वक्त नहीं लगा जब लोगों ने कहना शुरू कर दिया कि इमरान पूरी तरह से बुशरा के काबू में हैं।
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कहा जाने लगा कि प्रधानमंत्री बनने के बाद भी इमरान कोई फैसला लेने के पहले बुशरा बीबी से सलाह लेते हैं। यह तक बातें बनने लगीं कि बुशरा जादू-टोना करती हैं और उनका अक्स आईने में नहीं दिखता। बात यहां तक बढ़ गई कि PTI को आधिकारिक रूप से बयान जारी कर कहना पड़ा कि इन अफवाहों के पीछे विपक्षी दल PMLN है।
पिछली जिंदगी का पड़ा पर्दा
बुशरा बीबी की पिछली जिंदगी बेहद रहस्यभरी लगती है। वह पंजाब के जमींदार वर्ग से आती हैं। उनका परिवार परंपराओं से जुड़ा रहा है, लेकिन राजनीतिक रूप से प्रभावशाली था। वह पंजाबी-मुस्लिम समुदाय Wattoo से ताल्लुक रखती हैं। 1989 में उनका निकाह खावर फरीद मानेका के साथ हुआ।
खावर फरीद के पिता गुलाम मोहम्मद मानेका, बेनजीर भुट्टो (Benazir Bhutto) सरकार में केंद्रीय मंत्री थे। पहले निकाह से बुशरा को पांच बच्चे हुए, तीन बेटियां और दो बेटे। इलाके में उनकी पहचान धार्मिक उपदेशक और गुरु की थी। पाकिस्तानी मीडिया के मुताबिक, 2015 में एक उपचुनाव के दौरान जब इमरान खान इस क्षेत्र में आए थे, तभी उनकी मुलाकात बुशरा से हुई। उस वक्त तक इमरान का दूसरा तलाक हो चुका था।
बुशरा के पहले पति का आरोप
बुशरा के पहले शौहर खावर फरीद ने इमरान पर आरोप (Allegations against Imran Khan) लगाया था कि इमरान ने अनुयायी बनकर उनके घर में प्रवेश किया और फिर उनकी शादीशुदा जिंदगी में दरार डाल दी। खावर का इल्जाम रहा है कि बुशरा को उनकी बहन ने इमरान से मिलवाया था। जल्द ही इमरान का उनके यहां आना-जाना शुरू हो गया। बाद में बुशरा ने इस्लामाबाद में भी PTI प्रमुख से मुलाकात की। वह एक बार का वाकया बताते हैं, जब इमरान बिना बताए उनके घर पहुंच गए थे और तब खावर फरीद ने अपने नौकर से कहकर उन्हें बाहर निकलवाया था।
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इमरान और बुशरा बीबी पर आरोप लगा कि उन्होंने इस्लामिक रीति-रिवाजों का पालन नहीं किया। पहले पति से तलाक और निकाह के बीच में जितना गैप होना चाहिए था, उतना नहीं था। बुशरा ने खावर फरीद को तलाक देने और इमरान से निकाह करने में जल्दबाजी की। इस मामले को लेकर फरवरी 2024 में दोनों को सात साल की सजा सुनाई गई थी।
फिर, सरकारी तोहफे बेचने के मामले में भी बुशरा को दोषी पाया गया और उन्हें जेल जाना पड़ा। हालांकि बाद में, एक दूसरी अदालत ने निकाह मामले में इमरान और बुशरा को बरी कर दिया। बुशरा जेल से भी निकल आईं।
क्या बुशरा होंगी इमरान की उत्तराधिकारी?
इमरान खान की जेल से रिहाई की मांग को लेकर नवंबर 2024 के आखिर में जब इस्लामाबाद में विरोध-प्रदर्शन (Protest in Islamabad) हुए, तो उसकी अगुवाई बुशरा ने ही की थी। एक लॉरी पर खड़े होकर उन्होंने हजारों की भीड़ को संबोधित करते हुए कहा, ‘आपको मेरा साथ देना ही होगा। अगर आप मेरा साथ नहीं देते, तो भी मैं मजबूती से खड़ी रहूंगी।’ PTI के इस फाइनल मार्च के जरिये बुशरा (Bushra Bibi) पहली बार यूं खुलकर कोई तकरीर दे रही थीं। तब माना गया कि वह इमरान के इशारे पर ऐसा कर रही हैं और अब राजनीतिक रूप से ज्यादा सक्रिय होंगी।
लेकिन जब अंधेरा घिरने पर पाकिस्तानी सेना (Pakistani Army) ने प्रदर्शनकारियों को खदेड़ना शुरू किया तो सबसे पहले बुशरा बीबी लापता हुईं। यह भी कहा गया कि इस्लामाबाद के अति संवेदनशील डी-चौक पर प्रदर्शन का फैसला बुशरा का अपना था, इमरान तो चाहते थे कि राजधानी के बाहर कहीं रैली की जाए।
खैर, बुशरा फिर रहस्यों में घिर चुकी हैं। क्या वह इमरान की विरासत आगे बढ़ाएंगी, क्या वह फिर से ऐसा कोई मार्च निकालेंगी, किसके कहने पर उन्होंने सऊदी अरब को नाराज करने वाला बयान दिया? उनको लेकर फिर कई सवाल हैं और उनका जवाब देने वाला कोई नहीं। पाकिस्तान (Pakistan News) के लोगों के सामने बुशरा की पहली कहानी रात के अंधेरे में आई थी और उनकी दूसरी कहानी रात के अंधेरे में खो गई है।