

Aurangabad
महाराष्ट्र में औरंगजेब की वजह से आग लगी हुई है। संभाजी नगर के खुल्दाबाद में मौजूद औरंगजेब की कब्र को लेकर हिंसक विवाद हुआ। लेकिन बात केवल कब्र की नहीं है। यह शहर अपने नाम को लेकर भी विवाद झेल चुका है।
संभाजीनगर (Chhatrapati Sambhajinagar) पहले औरंगाबाद (Aurangabad) नाम से जाना जाता था। केंद्र सरकार ने 24 फरवरी 2023 को इस नाम परिवर्तन को मंजूरी दी। इसके साथ उस्मानाबाद (Osmanabad) का नाम भी बदलकर धाराशिव (Dharashiv) कर दिया गया। महाराष्ट्र में लंबे समय से इस बदलाव की मांग उठ रही थी।
औरंगाबाद का प्राचीन इतिहास (History of Aurangabad)
औरंगाबाद का इतिहास (Aurangabad History) सातवाहन काल (Satavahana Period) से जुड़ा हुआ है। सातवाहन साम्राज्य के समय यह क्षेत्र कई छोटे-बड़े गांवों का हिस्सा था। 14वीं शताब्दी तक इस क्षेत्र पर यादव वंश का शासन था, जो देवगिरी (Daulatabad) से राज करते थे।
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1604 में अहमदनगर के निजामशाही सुल्तान मुर्तजा निजाम शाह द्वितीय के प्रधानमंत्री मलिक अंबर (Malik Ambar) ने इस शहर को विकसित किया और इसका नाम फतेहनगर (Fatehnagar) रखा। बाद में, मुगल बादशाह शाहजहां (Shah Jahan) ने अपने बेटे औरंगजेब (Aurangzeb) को 1636 में दक्कन का गवर्नर बनाकर भेजा, जिसने इस जगह का नाम बदलकर खुजिस्ता बुनियाद कर दिया। लेकिन 1657 में औरंगजेब ने इसे फिर से नया नाम औरंगाबाद (Aurangabad) दिया।
औरंगाबाद से संभाजीनगर (Aurangabad to Sambhajinagar Timeline)
- 1626 : मलिक अंबर के बेटे फतेह खान (Fateh Khan) ने इस जगह का नाम फतेहनगर (Fatehnagar) रखा।
- 1636 : बादशाह शाहजहां ने औरंगजेब को दक्षिण भेजा, जिसने इसे खुजिस्ता बुनियाद (Khujista Buniyad) नाम दिया।
- 1657 : औरंगजेब ने इसे बदलकर औरंगाबाद (Aurangabad) रखा।
- 1988 : बालासाहेब ठाकरे (Balasaheb Thackeray) ने औरंगाबाद के नामकरण का विरोध किया और इसे संभाजीनगर (Sambhajinagar) कहने की मांग उठाई।
- 1995 : महाराष्ट्र में शिवसेना-बीजेपी सरकार ने नाम बदलने का फैसला किया, लेकिन मामला कोर्ट में चला गया।
- 1999 : कांग्रेस सरकार ने कोर्ट में बताया कि वह नाम परिवर्तन प्रस्ताव को वापस ले रही है।
- 29 जून 2022 : तत्कालीन उद्धव ठाकरे सरकार (Uddhav Thackeray Government) ने संभाजीनगर (Sambhajinagar) के नाम को मंजूरी दी।
- 16 जुलाई 2022 : शिंदे सरकार (Shinde Government) ने इसे आगे बढ़ाते हुए छत्रपति संभाजीनगर (Chhatrapati Sambhajinagar) नाम को मंजूरी दी।
- 24 फरवरी 2023 : केंद्र सरकार (Central Government) ने महाराष्ट्र सरकार के प्रस्ताव को स्वीकृति दी और औरंगाबाद का नाम आधिकारिक रूप से संभाजीनगर (Sambhajinagar) कर दिया गया।
नाम परिवर्तन की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि (Historical Context of Name Change)
औरंगाबाद का नाम बदलने की मांग कई दशकों से चली आ रही थी। यह शहर मराठा शासक छत्रपति संभाजी महाराज (Chhatrapati Sambhaji Maharaj) से जुड़ा हुआ है, जिन्हें औरंगजेब ने कैद करके यातनाएं दी थीं और अंततः 1689 में उनका बलिदान हुआ था। इसी ऐतिहासिक पृष्ठभूमि के कारण शिवसेना और हिंदू संगठनों ने यह मांग उठाई थी कि इस शहर का नाम संभाजीनगर रखा जाए।
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औरंगाबाद के प्रमुख ऐतिहासिक स्थल (Famous Historical Places in Aurangabad)
- एलोरा की गुफाएं (Ellora Caves) : विश्व धरोहर स्थल (UNESCO World Heritage Site) जिसमें हिंदू, बौद्ध और जैन गुफाएं हैं।
- अजंता की गुफाएं (Ajanta Caves) : प्राचीन बौद्ध चित्रकारी के लिए प्रसिद्ध।
- बीबी का मकबरा (Bibi Ka Maqbara) : इसे ‘दक्कन का ताजमहल’ भी कहा जाता है।
- दौलताबाद किला (Daulatabad Fort) : रणनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण किला जो पहले देवगिरी (Devagiri) के नाम से जाना जाता था।
- ग़्रिश्नेश्वर ज्योतिर्लिंग (Grishneshwar Jyotirlinga) : बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक, जो शिव भक्तों के लिए पवित्र स्थल है।
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