

दिल्ली में 27 साल बाद भाजपा की वापसी हुई। इसे थोड़ा नाटकीय अंदाज में कहा जाए तो इस सदी में पहली बार दिल्ली विधानसभा में बीजेपी का अपना मुख्यमंत्री होगा। रामलीला मैदान में पीएम नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) और एनडीए शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों की मौजूदगी में शपथ ग्रहण समारोह हुआ। जनता को खास तौर पर निमंत्रण भेजा गया था। यह बीजेपी की उस एक्सरसाइज का हिस्सा है, जिसके तहत वह हर इवेंट को मेगा बना देती है।
रेखा गुप्ता (Rekha Gupta) ने दिल्ली सीएम पद की शपथ ली। उनके नाम पर मुहर बुधवार शाम को ही लग गई थी। उनके साथ 6 विधायक भी मंत्री बने – प्रवेश वर्मा, आशीष सूद, मनजिंदर सिंह सिरसा, रविंद्र सिंह, कपिल मिश्रा और पंकज कुमार सिंह।
दिल्ली का सीएम बदल चुका है। सत्ता बदल चुकी है। राजनीति भी एक दशक बाद बदल गई है। अब सवाल है कि आम आदमी पार्टी का क्या होगा? विधानसभा चुनाव का परिणाम सामने आने के बाद से ही AAP और उसके राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल को खारिज करने की जल्दबाजी दिखाई जा रही है। चुनावी राजनीति में कोई पार्टी एक चुनाव से खत्म नहीं हो जाती। हालांकि आम आदमी पार्टी का मामला अलग है।
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केजरीवाल की नेतृत्व क्षमता की परीक्षा (Arvind Kejriwal Leadership Test)
AAP की राजनीति की नींव अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) की छवि और उनके द्वारा गढ़े गए वैकल्पिक राजनीति के मॉडल पर टिकी है। अन्ना हजारे के भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन से उभरी यह पार्टी शुरुआत में जनता के लिए उम्मीद की किरण बनी थी। 2015 और 2020 में दिल्ली विधानसभा चुनावों में शानदार जीत के बाद, केजरीवाल को एक सशक्त नेता के रूप में देखा गया। लेकिन अब उनकी छवि और विश्वसनीयता पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं।
मुफ्त योजनाओं (Freebie Culture) का प्रभाव और बदलता राजनीतिक परिदृश्य
दिल्ली में AAP की सफलता का एक बड़ा कारण बिजली, पानी, शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में लोक-लुभावन योजनाएं (Populist Schemes) थीं। हालांकि, 2020 के बाद के हालात ने इन योजनाओं की सीमाएं उजागर कर दीं। कोरोना महामारी, केंद्र सरकार से टकराव और यमुना की सफाई जैसे मुद्दों पर अधूरे वादों ने मतदाताओं को निराश किया।
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दिल्ली चुनाव (Delhi Elections) में AAP की हार और विधानसभा में कमजोर प्रदर्शन ने पार्टी के भविष्य पर प्रश्नचिह्न लगा दिया है। बीजेपी (BJP) के बढ़ते प्रभाव और कांग्रेस (Congress) की धीरे-धीरे वापसी से AAP के मत प्रतिशत में भारी गिरावट आई। यह दर्शाता है कि दिल्ली के मतदाता अब मुफ्त योजनाओं से आगे सोच रहे हैं और गवर्नेंस पर ध्यान दे रहे हैं।
पंजाब में AAP की अगली चुनौती
AAP की दूसरी सबसे बड़ी राजनीतिक उपलब्धि पंजाब विधानसभा चुनाव (Punjab Assembly Elections 2022) में मिली ऐतिहासिक जीत थी। लेकिन अब पार्टी के लिए वहां सत्ता बनाए रखना आसान नहीं होगा। मुख्यमंत्री भगवंत मान (Bhagwant Mann) की नेतृत्व क्षमता पर सवाल उठ रहे हैं। पंजाब में बढ़ते अपराध, कर्ज और अधूरी योजनाएं AAP सरकार के लिए नई मुसीबतें खड़ी कर सकती हैं। कांग्रेस (Congress) और अकाली दल (Akali Dal) की संभावित रणनीतियां आम आदमी पार्टी की मुश्किलें और बढ़ा सकती हैं।
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टूट का डर
दिल्ली में सत्ता गंवाने के बाद पार्टी में असंतोष की खबरें तेज हो गई हैं। कुछ विधायक और नेता बीजेपी में शामिल हो सकते हैं, जिससे AAP के अस्तित्व पर संकट मंडरा सकता है। क्या केजरीवाल पार्टी को एकजुट रख पाएंगे या फिर AAP में बड़े स्तर पर टूट देखने को मिलेगी?
इस हार ने केजरीवाल और आम आदमी पार्टी की राष्ट्रीय स्तर पर प्रभाव जमाने की महत्वकांक्षा पर भी चोट पहुंचाई है। इसमें कोई शक नहीं कि अपने गठन के दशक भर के भीतर आम आदमी पार्टी ने जो कारनामा किया, वह चकित करने वाला था। दिल्ली में शीला दीक्षित से सत्ता छीनना, पंजाब में जमना, गोवा और गुजरात में टक्कर देना और फिर राष्ट्रीय दल बन जाना आसान काम नहीं।
अपने प्रदर्शन की बदौलत ही आप को विपक्षी गठबंधन I.N.D.I.A. में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने की उम्मीद थी। पिछले साल हुए लोकसभा चुनाव में कांग्रेस फ्रंटफुट पर थी। लेकिन उसके बाद हुए विधानसभा चुनावों में कांग्रेस का प्रदर्शन कमजोर रहा और सहयोगी दलों ने उसे बातें सुनानी शुरू कर दीं।
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फिर, दिल्ली चुनाव में सपा और दूसरे विपक्षी दलों ने कांग्रेस के बजाय AAP को समर्थन दिया। इससे लगने लगा कि विपक्षी गठबंधन में अरविंद केजरीवाल की स्थिति मजबूत हो रही है। लेकिन अब कहानी उल्टी हो चुकी है।
AAP के सामने अब कठिन दौर है। पार्टी का भविष्य अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व और उनके द्वारा अपनाई जाने वाली रणनीतियों पर निर्भर करेगा। अगर वे अपनी विश्वसनीयता वापस पाने में सफल होते हैं और पार्टी को एक नई दिशा देते हैं, तो AAP अपनी खोई हुई साख दोबारा हासिल कर सकती है। लेकिन अगर आंतरिक कलह और असंतोष बढ़ता गया, तो पार्टी का राजनीतिक अस्तित्व खतरे में पड़ सकता है।