

सन 1771 में 50 पाउंड की वैल्यू आज के लगभग 10 हजार पाउंड स्टर्लिंग के बराबर थी, ऐसा AI का अनुमान है। इसमें थोड़ा ऊपर-नीचे कर लीजिए, तो भी रकम ठीक-ठाक बन जाती है। अगर इसे भारतीय रुपयों में बदलें तो 11 लाख रुपये से थोड़ा कम बनता है। 23 सितंबर 1771 को जब इंग्लैंड के Laleham Burway में चर्टसी (Chertsey) और हैम्बलडन (Hambledon) की टीमें क्रिकेट खेलने के लिए आमने-सामने आईं, तो दोनों तरफ से इतनी ही रकम दांव पर लगी थी।
टेम्स नदी के किनारे सरे काउंटी (Surrey) में लेलहैम बर्वे क्रिकेट खेलने वालों की पसंदीदा जगह थी। इस मैदान की तरह दोनों टीमों का इतिहास भी कम प्रभावशाली नहीं। चर्टसी को इंग्लैंड के सबसे पुराने क्रिकेट क्लबों (Cricket club) में से एक माना जाता है। इसकी स्थापना 1730 के दशक में हुई थी। 1736 में खेले इसके सबसे पहले क्रिकेट मैच का रिकॉर्ड भी मिलता है। इसी तरह हैम्बलडन क्लब की नींव भी 1750 के दशक में पड़ी। ये दोनों ही टीमें तब लगातार क्रिकेट मैच का आयोजन किया करती थीं।
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लेकिन इन दोनों के बीच खेला गया यह मैच अगर करीब ढाई सौ साल बाद भी याद किया जाता है, तो इसकी वजह खेल नहीं, एक बैट है। चर्टसी के थॉमस डैडी वाइट (Thomas ‘Daddy’ White) की गिनती अच्छे ऑलराउंडर में होती थी। उस दिन जब वह बैटिंग करने उतरे, तो सभी हैरान रह गए। उनके हाथों में जो बैट था, उसके रहते कोई उन्हें आउट ही नहीं कर सकता था।
थॉमस वाइट ने स्टंप्स की चौड़ाई के बराबर का बैट पकड़ा हुआ था (Wide bat controversy)। इसे उन्होंने खासतौर पर अपने लिए बनवाया था। हैम्बलडन की टीम यह देखकर हैरान रह गई, लेकिन उसके पास गेंदबाजी करने के अलावा कोई उपाय नहीं था। उसकी वजह यह थी कि तब किसी तरह का नियम नहीं था क्रिकेट बैट को लेकर।
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हालांकि थॉमस वाइट की इस बेईमानी के बाद भी उनकी टीम को एक रन से हार का सामना करना पड़ा। हैम्बलडन ने दोनों पारियों में मिलाकर 218 रन बनाए थे, जबकि चर्टसी की टीम 217 रन बना सकी। खेल खत्म हुआ, लेकिन बैट से जुड़ा मामला नहीं। है
म्बलडन के तेज गेंदबाज थॉमस ब्रेट (Fast bowler Thomas Brett) के बारे में तब कहा जाता था कि उनकी रफ्तार के आगे कोई नहीं टिक सकता। ब्रेट ने तय किया कि वह इस मुद्दे को आगे ले जाएंगे। उन्हें अपनी टीम के कप्तान Richard Nyren और बल्लेबाज जॉन स्मॉल का भी साथ मिला। जॉन एक बैट कंपनी के भी मालिक थे।
थॉमस ब्रेट ने 25 सितंबर 1771 को एक लेटर लिखा, जिसे क्लब के मिनट्स में भी शामिल किया गया। लेटर छोटा, लेकिन इसकी भाषा बहुत चुभने वाली, ’23 सितंबर को रायगेट के वाइट के प्रदर्शन को ध्यान में रखते हुए बल्ले की चौड़ाई चार और एक चौथाई इंच तक सीमित की जाए।’ अंग्रेजी में यह लेटर देखिए,
…In view of the performance of one White of Ryegate on September 23rd, that ffour and quarter inches shall be the breadth forthwith.
This 25th day of September 1771
Richard Nyren, T Brett, John Small
इस लेटर में फोर (Four) की स्पेलिंग गलत लिखी है। माना गया कि जॉन ने गुस्से में ऐसा किया। खैर, जो भी बात हो, लेकिन तीन साल बाद उनकी मांग मान ली गई। आज क्रिकेट बैट की अधिकतम लंबाई, चौड़ाई और मोटाई तय है। बैट 38 इंच से लंबा और 4.25 इंच से चौड़ा नहीं हो सकता। इसी तरह से, बैट के किनारे 1.56 इंच से ज्यादा नहीं हो सकते। अंपायर किसी भी वक्त बल्लेबाजों से अपना बैट दिखाने के लिए कह सकते हैं।
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जब तय हुआ कि बैट लकड़ी के ही बनेंगे
क्रिकेट के नियमों की कस्टोडियन MCC ने सब तो तय कर दिया, लेकिन इस पर किसी का ध्यान ही नहीं गया कि बैट किस मैटेरियल का होना चाहिए। शायद सभी के ध्यान में हो कि बैट तो लकड़ी का ही होगा, लेकिन कौन जानता था कि ऑस्ट्रेलिया के तेज गेंदबाज डेनिस लिली (Dennis Lillee) कुछ अलग ही सोच रहे हैं। दिसंबर 1979 में ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड (Australia vs England Test) के बीच पर्थ में टेस्ट मैच खेला जा रहा था। पहले दिन का खेल खत्म हुआ तो कंगारूओं का स्कोर था 8 विकेट के नुकसान पर 232 रन। डेनिस लिली तब नॉटआउट थे।
दूसरे दिन जब लिली बैटिंग करने आए, तो उनके हाथ में एक अनोखा ही बल्ला था, एल्युमिनियम का (Aluminium cricket bat)। पहली तीन गेंदों पर तो कुछ नहीं हुआ, लेकिन इयान बॉथम (Ian Botham) की चौथी डिलिवरी पर जब लिली ने स्ट्रेट ड्राइव किया, तो गेंद सीमारेखा के पास जाकर रुक गई। लिली को तीन रन मिले।
पैवेलियन से मैच देख रहे ऑस्ट्रेलियाई कप्तान ग्रेग चैपल (Greg Chappell) को लगा कि जिस तरह का शॉट मारा गया था, उसके हिसाब से गेंद बाउंड्री पार जानी चाहिए थी। उन्होंने एक खिलाड़ी के हाथों लकड़ी का बैट मैदान पर इस संदेश के साथ भिजवाया कि एल्युमिनियम बैट बेकार है।
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इसी समय इंग्लैंड की टीम के कप्तान माइक ब्रेयरली (Mike Brearley) अंपायर के पास पहुंच गए। उन्होंने कहा कि मेटल बैट के कारण गेंद को नुकसान पहुंच रहा है। अंपायरों ने डेनिस लिली से बैट बदलने की अपील की, लेकिन वह नहीं माने। तब कुछ किया भी नहीं जा सकता था, क्योंकि लिली का बैट नियमों के खिलाफ नहीं था।
मैच रुक गया और अंपायर इंग्लैंड के कप्तान से बात करने लगे। लग रहा था कि विवाद बढ़ जाएगा, लेकिन तभी ऑस्ट्रेलियाई कप्तान चैपल लकड़ी का एक बैट लेकर मैदान पर आ गए। उन्होंने लिली से कहा कि वह पारंपरिक बैट ही इस्तेमाल करें।
कप्तान का आदेश था, लिली ने लकड़ी का बैट ले लिया और एल्युमिनियम बैट को गुस्से में दूर फेंक दिया। उनके इस बर्ताव के लिए उन्हें बाद में क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया (CA) की तरफ से चेतावनी मिली। बाद में पता चला कि यह एक मार्केटिंग स्टंट था। लिली के एक दोस्त की कंपनी ने बच्चों और गरीब देशों के लिए Aluminium cricket bat बनाए थे, क्योंकि ये सस्ते पड़ रहे थे।
टेस्ट मैच में इस बैट से केवल चार गेंद खेलकर लिली ने इसे ऐसी पब्लिसिटी दिलाई, जो वैसे कभी न मिल पाती। इन चार गेंदों ने Marylebone Cricket Club (MCC) को यह नियम बनाने पर भी मजबूर किया कि बैट केवल लकड़ी का हो सकता है।