

भारत और पाकिस्तान के बीच अंग्रेजों ने ऐसी लकीर खींची है कि दोनों के रिश्ते हमेशा सुलगते ही रहते हैं। कुछ तो इतिहास की गलती और कुछ पाकिस्तान की आदत- बहुत कम हुआ है, जब दोनों के दरम्यान सब पटरी पर रहा हो। इस सबमें खेलों और खासकर क्रिकेट को भी जोड़ लीजिए।
चैंपियंस ट्रॉफी (ICC Champions Trophy) को लेकर हुआ बवेला आप सब को याद होगा। पाकिस्तान ने कसम खाई थी कि किसी भी हालत में इवेंट को हाइब्रिड मॉडल पर नहीं होने देगा। वह कसम टूटनी ही थी।
लेकिन आज बात उस कसम की नहीं है। इतना तो हमने बस माहौल बनाया है ताकि भारत-पाकिस्तान के बीच के तनाव को महसूस किया जा सके। असल कहानी यह है कि इस उलझे रिश्ते के बावजूद भारतीय क्रिकेट की शान सचिन तेंदुलकर ने एक समय पाकिस्तान क्रिकेट टीम की ओर से मैदान पर फील्डिंग की थी।
मजबूर हो गए थे इमरान खान
यह साल 1987 की बात है। पाकिस्तान की क्रिकेट टीम भारत के दौरे पर आई थी। पांच टेस्ट मैच और 6 वनडे की सीरीज (India vs Pakistan Cricket Match) खेली जानी थी। पाकिस्तान के कप्तान इमरान खान (Imran Khan) थे और भारत के कपिल देव।
यह भी पढ़ें : जब टीम इंडिया के ड्रेसिंग रूम से निकाला गया दाऊद
दोनों सीरीज बहुत ही महत्वपूर्ण थीं और पूरी दुनिया की नजरें इस पर लगी थीं। इस दौरे की आधिकारिक शुरुआत के पहले क्रिकेट क्लब ऑफ इंडिया (CCI) और पाकिस्तान के बीच एक दोस्ताना मुकाबला होना तय हुआ। CCI को भारत में Marylebone Cricket Club (MCC) के समकक्ष माना जाता है। यह देश के सबसे पुराने और प्रतिष्ठित क्लब में से एक है।
तय हुआ कि मुकाबला 40-40 ओवर का खेला जाएगा। जब CCI की तरफ से पाकिस्तान (Pakistan Cricket Team) को दोस्ताना मैच का ऑफर दिया गया, तो इमरान मना नहीं कर पाए। लेकिन यह भी सच था कि उस समय इस फ्रेंडली मैच से कहीं ज्यादा महत्वपूर्ण टेस्ट और वनडे सीरीज थी। इमरान नहीं चाहते थे कि उनके खिलाड़ी फ्रेंडली फाइट में ही चोटिल हो जाएं।
उस दोस्ताना मैच में पाकिस्तान ने बैटिंग कर ली, लेकिन जब फील्डिंग की बारी आई तो जावेद मियांदाद और अब्दुल कादिर मैदान पर उतरे ही नहीं। दोनों खिलाड़ी वापस होटल चले गए। पाकिस्तान के पास कोई सब्सिट्यूट खिलाड़ी भी नहीं था। इमरान तब सीसीआई कप्तान हेमंत करकरे के पास पहुंचे और फील्डिंग के लिए तीन-चार खिलाड़ी देने को कहा।
यह भी पढ़ें : ऐसा बैट मिल जाए तो कोई आउट ही नहीं होगा
वहां एक किशोर भी मौजूद था, जिसकी उम्र 14 साल भी नहीं थी। इमरान की मांग पर वह चहक उठा। उसने पहल करते हुए हेमंत से पूछा कि क्या मैं जा सकता हूं? वह बच्चा कोई और नहीं, सचिन थे।
इमरान ने सचिन (Sachin Tendulkar) को मिड ऑन पर लगाया। उनके पास जब एक शॉट गया तो वह उसे पकड़ नहीं पाए। हालांकि इससे उनके उत्साह पर कोई असर नहीं पड़ा। आमतौर पर मैदान पर छोटी-छोटी गलतियों पर इमरान अपने खिलाड़ियों को डांट दिया करते थे, लेकिन एक तो यह फ्रेंडली मैच था और दूसरे सचिन उनकी टीम के स्थायी सदस्य नहीं थे, ऐसे में उन्होंने कुछ नहीं कहा।
यह भी हो सकता है कि इमरान ने सोचा हो कि इतना छोटा बच्चा है, इसे क्या डांटा जाए? हालांकि दो साल बाद ही जब सचिन पाकिस्तान में घुसकर पाकिस्तानी गेंदबाजों पर शॉट लगा रहे थे, तब इमरान का यह भ्रम टूट गया होगा।
यह एक प्रदर्शनी मैच था, इसलिए इसे रेकॉर्ड बुक में जगह नहीं मिली। पाकिस्तान बस यह सोचकर खुश हो सकता है कि ग्रेट सचिन ने उसकी तरफ से फील्डिंग की थी। हालांकि रेकॉर्ड में यह दर्ज नहीं हुआ।
यह भी पढ़ें : जब टीम इंडिया ने इंग्लैंड को ‘कैंडी क्रश’ कर दिया
वैसे कुल तीन खिलाड़ी हैं, जिन्होंने भारत और पाकिस्तान, दोनों के लिए इंटरनैशन क्रिकेट खेली। ये खिलाड़ी थे – अब्दुल हाफिज कारदार, आमिर इलाही और गुल मोहम्मद। इनमें कारदार को पाकिस्तान क्रिकेट का पितामह कहा जाता है। उन्होंने भारत के लिए करियर की शुरुआत की थी और फिर बंटवारे के बाद पाकिस्तान चले गए। उन्होंने पाकिस्तानी टीम की कप्तानी भी की थी।
कारदार और भारत से गए बाकी दोनों खिलाड़ियों ने किस तरह से पाकिस्तानी क्रिकेट को संवारा, यह भी एक दिलचस्प स्टोरी है। इसके बारे में भी बात करेंगे, जुड़े रहिए हमारे साथ।