

हिमालय की ऊंची चोटियां सदियों से दुनियाभर के पर्वतारोहियों को अपनी ओर आकर्षित करती रही हैं। इनके शिखर पर पहुंचने को महान उपलब्धि के तौर पर देखा जाता है। लेकिन, हिमालय पर पर्वतारोहियों को कई रहस्यमय और अलौकिक अनुभवों का सामना भी करना पड़ा है। ये अनुभव अक्सर रहस्यमय दृश्य, आवाजों या आकृतियों के रूप में सामने आते हैं।
इन घटनाओं का एक लंबा इतिहास रहा है। विज्ञान ऐसी कई घटनाओं की आज तक तार्किक व्याख्या नहीं कर पाया। ज्यादातर में यही कहा गया कि ऑक्सीजन की कमी और शारीरिक थकावट के कारण पर्वतारोहियों को अजीब अनुभव हुए। दरअसल, जैसे-जैसे हम 7000 मीटर या उससे अधिक ऊंचाई पर चढ़ते हैं, वातावरण में ऑक्सीजन की मात्रा घटने लगती है। इस कारण शरीर को पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिल पाती और मस्तिष्क पर असर पड़ता है। इससे भ्रम पैदा हो सकता है, चक्कर और मितली आ सकती है। यह स्थिति पर्वतारोहियों को hallucinations या असामान्य अनुभवों का सामना करा सकती है।
जब हवा में उभर आया क्रॉस
आधुनिक पर्वतारोहण की शुरुआत 1865 में हुई थी, जब एडवर्ड व्हाइमपर (Edward Whymper) ने मैटरहॉर्न की पहली चढ़ाई की। मैटरहॉर्न पर्वत (Matterhorn) आल्प्स का हिस्सा है और इटली-स्विट्जरलैंड के बीच फैला हुआ है। जब व्हाइमपर और उनके साथी 1200 मीटर की ऊंचाई से उतरते हुए जर्मेट (Zermatt) नाम की जगह की ओर बढ़ रहे थे, तब एक विचित्र घटना घटी। व्हाइमपर ने अपनी किताब ‘Scrambles Among the Alps’ में इस घटना का जिक्र किया है।
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उन्होंने बताया कि उनके चार साथी पर्वतारोही इस अभियान के दौरान हादसे का शिकार हो गए थे। पूरा दल सदमे में था, लेकिन शाम के धुंधलके में कुछ ऐसा घटा, जिसने सभी के भीतर सिहरन पैदा कर दी। एक विशाल और रंगहीन मेहराब (arch) आसमान में उभरती हुई दिखाई दी, जो पूरी तरह से स्पष्ट थी। इस मेहराब के दोनों ओर दो विशाल क्रॉस (crosses) बनते गए, जो स्थिर थे। यह दृश्य इतना अद्भुत था कि व्हाइमपर और उनके साथी स्तब्ध रह गए। उन्होंने महसूस किया कि यह किसी अन्य दुनिया से दिखाई देने वाली छवि थी।

हिमालय पर पहला UFO!
इंग्लैंड के पर्वतारोही एरिक शिपटन (Eric Shipton) और फ्रैंक स्मिथ (Frank Smythe) के नेतृत्व में सन 1933 में एवरेस्ट की उत्तरी दिशा से एक महत्वपूर्ण अभियान हुआ था। इस दौरान स्मिथ ने एक अजीब घटना का सामना किया। वे 27,200 फीट की ऊंचाई पर पहुंच गए थे। ठंड और ऑक्सीजन की कमी के कारण संघर्ष बढ़ता जा रहा था। इस दौरान शिपटन थक कर गिर गए। स्मिथ ने इसके बाद भी अकेले ही पर्वतारोहण जारी रखा। लेकिन लगभग 28,200 फीट की ऊंचाई पर उनकी हिम्मत जवाब दे गई। शिखर तब भी लगभग हजार मीटर दूर था, लेकिन स्मिथ इतना थक चुके थे कि उनके लिए एक कदम भी आगे बढ़ाना संभव नहीं था। उन्होंने लौटने का फैसला कर लिया।
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स्मिथ के मुताबिक, जब वे कैंप C6 से करीब 200 फीट ऊपर थे, तभी उन्होंने आकाश में दो अजीब वस्तुएं देखीं। वे बड़े काइट बैलून (kite balloons) जैसी थीं। एक के पास छोटे पंख थे और दूसरे में चोंच जैसी संरचना थी। दोनों वस्तुएं आसमान में अपनी जगह स्थिर थीं। स्मिथ को एकबारगी लगा कि उन्हें ऊंचाई की वजह से भ्रम हो रहा है। उन्होंने आंखें बंद कीं और दोबारा आकाश में देखा, दोनों आकृतियां अब भी मौजूद थीं। स्मिथ ने खुद पर कुछ और मेंटल टेस्ट आजमाए, ताकि उन्हें पक्का यकीन हो जाए कि उनका दिमाग सचेत है। हर बार उन्हें वे आकृतियां अपनी जगह पर दिखीं। इसी बीच अचानक कोहरा छाने लगा। जब कोहरा हटा, तो वे आकृतियां भी गायब थीं। बहुत से लोगों का मानना है कि फ्रैंक स्मिथ ने उस दिन उड़नतश्तरी (UFO) देखी थी।
क्या वह कोई चेतावनी थी?
साल 1975 में ब्रिटिश पर्वतारोही क्रिस बोनिंगटन (Chris Bonington) के नेतृत्व में एवरेस्ट के दक्षिणी पश्चिमी हिस्से (Southwest Face of Everest) से चढ़ाई की जा रही थी। उस दल में निक एस्टकोर्ट (Nick Estcourt) भी थे। 26 सितंबर, 1975 को निक एक कैंप से दूसरे कैंप में अकेले ही ऑक्सीजन की बोतलें ले जा रहे थे। इस दौरान उन्होंने एक अजीब व्यक्ति को देखा, जो उनके पीछे आ रहा था। निक के मुताबिक, उन्होंने तड़के 3:30 बजे ही चढ़ाई शुरू कर दी थी। चांदनी रात थी, इसलिए सबकुछ साफ-साफ दिख रहा था।
वह करीब 200 फीट चढ़े होंगे, जब उन्हें महसूस हुआ कि कोई उनके पीछे आ रहा है। वह मुड़े तो उन्हें एक आकृति नजर आई। निक ने बाद में बताया कि वह एक सामान्य पर्वतारोही जैसा दिखता था। वह बहुत दूर भी नहीं था, इसलिए पता चल गया कि वह बिना रस्सियों के चढ़ाई कर रहा था। निक को लगा कि वह शख्स उनके पास आना चाहता हे, तो वह रुक गए। हालांकि उनके रुकते ही उस शख्स ने भी अपनी रफ्तार धीमी कर ली। निक ने आवाज लगाई, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला।
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आखिरकार उन्होंने तय किया कि वह आगे बढ़ते रहेंगे। चढ़ाई शुरू करते हुए उन्होंने कई बार पलट कर देखा और हर बार वह परछाई उनके पीछे नजर आई। निक को सब बहुत अजीब लग रहा था। खैर वह किसी तरह से कैंप तक पहुंच गए। उन्हें आश्चर्य तब हुआ, जब वह शख्स उसके पहले ही अचानक गायब हो गया। निक को एकबारगी अंदेशा हुआ कि वह कहीं किसी हादसे का तो शिकार नहीं हो गया! यह बाद में कंफर्म हो गया कि उस दिन और उस समय अपने दल से निक अकेले ही निकले थे। इस सवाल का जवाब आज तक नहीं मिला कि वह शख्स कौन था?

रास्ता दिखाने वाली वह कौन थी?
इटली के पर्वतारोही और एक्सप्लोरर रेनहोल्ड मेस्नर (Reinhold Messner) ने 1969 के बाद धरती के जितने पहाड़, जंगल, रेगिस्तान नापे, उतने किसी और ने नहीं। उन्हें आधुनिक पर्वतारोहण में सबसे महान पर्वतारोही माना जाता है। दुनिया की 9वीं सबसे ऊंची चोटी नंगा पर्वत (Nanga Parbat) पर चढ़ाई के दौरान उन्हें भी एक ऐसी घटना से गुजरना पड़ा, जिसकी तार्किक व्याख्या नहीं की जा सकती।
यह वाकया 1970 का है। रेनहोल्ड और उनके भाई गुंटर (Gunther) ने पहाड़ के Rupal Face नाम के हिस्से से चढ़ाई की। इसके बाद रेनहोल्ड बिना रस्सी के पहाड़ के Diamir Face हिस्से से नीचे उतर रहे थे। उन्हें करीब 50 डिग्री की चिकनी ढलान से होते हुए नीचे आना था। ऐसा पहले किसी ने नहीं किया था। इसी दौरान Reinhold Messner को लगा कि कोई और भी उनके साथ नीचे उतर रहा है। बाद में, हिमस्खलन में उनके भाई गुंटर की मौत हो गई। इसके बाद भी मेस्रनर 8 साल बाद, साल 1978 में नंगा पर्वत वापस लौटे। इस बार उन्होंने अकेले 8000 मीटर की चढ़ाई की। इसी दौरान, लगभग 7500 मीटर की ऊंचाई पर उन्हें एक महिला दिखी, जिसने चोटी तक पहुंचने का आसान रास्ता बताया। रेनहोल्ड मेस्रर सफल रहे। लेकिन, वह महिला कौन थी?
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कहा जाता है कि अकेलेपन और थकावट के कारण मेस्रर को भ्रम हुआ था। यह भी तर्क दिया जाता है कि 1977 में वह अपनी पत्नी से अलग हो गए थे, लेकिन भावनात्मक रूप से जुड़े हुए थे। मुश्किल चढ़ाई के दौरान उन्हें पत्नी का ख्याल आया होगा और इसलिए उन्हें एक महिला दिखाई पड़ी। हालांकि नंगा पर्वत पर पहली बार तो वह अकेले नहीं थे। तब उनका भाई साथ में था। उस समय उन्हें एक अनजान शख्सियत क्यों नजर आई? जवाब शायद ही कभी मिल पाए।