

अमेरिका की दादागिरी अगर पूरी दुनिया में चलती है, तो उसकी एक वजह डॉलर भी है। ज्यादातर देश अंतरराष्ट्रीय व्यापार के लिए डॉलर पर निर्भर हैं। यहां तक कि अमेरिका से दुश्मनी मानने वाला चीन भी डॉलर को नकार नहीं सकता है। लेकिन, एक करंसी ऐसी है, जिसके सामने डॉलर की भी कोई कीमत नहीं। एक तरफ वह अकेली करंसी और दूसरी तरफ एक लाख डॉलर! सोचिए कि जब अमेरिकी मुद्रा का यह हाल है, तो अपना रुपया कहां होगा।
दिसंबर 2024 के डेटा के मुताबिक, एक भारतीय रुपये और इस करंसी के बीच 0.000000119799 का अनुपात है। सरल भाषा में कहें तो ऐसी एक करंसी लेने के लिए आपको 83 लाख रुपये से ज्यादा खर्च करने पड़ेंगे।
वैसे यह बताना बहुत जरूरी है कि यह करंसी जितनी महंगी है, उतनी नखरीली भी। जितनी तेजी से ऊपर जाती है, उतनी ही तेजी से नीचे भी आती है। तो हो सकता है कि जब आप इस आर्टिकल को पढ़ रहे हों, तब यह बताए गए रेट से आधी हो चुकी हो या फिर इसके भी पार पहुंच गई हो।
यह है क्रिप्टोकरंसी या डिजिटल करंसी। Crypto ग्रीक भाषा के शब्द kryptós से आया है। इसका मतलब होता है गोपनीय, छिपा हुआ। क्रिप्टोकरंसी का अर्थ इसके नाम में ही है, ऐसी करंसी या मुद्रा जो छिपी हुई हो। वॉट्सऐप के संदेशों के बारे में आप जानते ही हैं कि वे ‘एंड-टू-एंड एनक्रिप्टेड’ होते हैं यानी जिसने भेजा और जिसे भेजा, केवल वही इन संदेशों को पढ़ सकते हैं।
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बिल्कुल यही बात क्रिप्टोकरंसी के साथ है। इसमें लेनदेन करने वाले छिपे रहते हैं। यहां तक कि इनके ट्रांजेक्शन को पूरा करने में मदद करने वाले भी इनके नाम-पते नहीं जानते। इसे ऐसे समझिए कि बैंक वालों को भी नहीं पता कि वे किसके खाते से किसके खाते में रुपये ट्रांसफर कर रहे हैं।
Blockchain technology पर टिकी क्रिप्टोकरंसी
क्रिप्टोकरंसी इतनी गोपनीय इसलिए है, क्योंकि यह ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी पर काम करती है। ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी एक डिजिटल तकनीक है, जो डेटा को सुरक्षित, पारदर्शी और विकेंद्रीकृत (Decentralized) तरीके से रिकॉर्ड और शेयर करने के लिए उपयोग की जाती है।
इसे मूल रूप से बिटकॉइन और अन्य क्रिप्टोकरंसी के लिए विकसित किया गया था, लेकिन आज इसका उपयोग कई अन्य क्षेत्रों में भी हो रहा है। सरल तरीके से समझिए तो यह डेटा का समूह है। यह डेटा ब्लॉक्स में होता है।
ऐसे हर ब्लॉक में लेन-देन का विवरण, एक Timestamp और पिछले ब्लॉक का एक क्रिप्टोग्राफिक लिंक रहता है। ब्लॉक्स की यह शृंखला एक-दूसरे से जुड़ी होती है, जिससे डेटा के साथ छेड़छाड़ करना असंभव हो जाता है।
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यह भी समझ लीजिए कि ब्लॉकचेन काम कैसे करती है। जब कोई यूजर डेटा या मुद्रा ट्रांसफर करता है, तो यह एक लेन-देन के रूप में रिकॉर्ड होता है। नेटवर्क में जुड़े उपयोगकर्ता (Nodes) इन लेन-देन को सत्यापित करते हैं। सत्यापित लेन-देन को एक ब्लॉक में जोड़ा जाता है। यह नया ब्लॉक शृंखला में जुड़ जाता है और इसे बदलना या हटाना असंभव हो जाता है। यह डेटा नेटवर्क के हर नोड पर सुरक्षित और पारदर्शी रूप से स्टोर रहता है।
कौन है बिटकॉइन को बनाने वाला (Who created Bitcoin)
ब्लॉकचेन तकनीक की मदद से ही पहली क्रिप्टोकरंसी ‘बिटकॉइन’ को तैयार किया गया। बिटकॉइन को 2009 में ‘सतोशी नाकामोतो’ (Satoshi Nakamoto) ने लॉन्च किया था। यह अभी तक पता नहीं चल सका है कि सतोशी नाकामोटो किसी एक शख्स का नाम है या कई लोगों का, यह नाम सही भी है या नहीं। यह भी जानकारी नहीं है कि वह किस देश के रहने वाले हैं। वैसे नाम से अनुमान लगाया जाता है कि वह जापानी मूल के होंगे।
कहां से आया बिटकॉइन का आइडिया
पिछले लगभग 50 साल से कोशिश हो रही थी कि ऐसा पैसा बनाया जा सके, जिससे दुनियाभर में कारोबार करना आसान हो जाए। अलग-अलग मुद्राओं और देशों के तमाम नियमों से होकर गुजरना न पड़े। लेकिन कई वर्षों की कोशिश के बाद भी ऐसा हो नहीं पाया। फिर 2008 में जाकर इसमें सफलता मिली।
Satoshi Nakamoto के बनाए बिटकॉइन के आने से पैसे से जुड़ी कई चुनौतियां घटने लगीं। इस नई करंसी की कीमत शुरुआती सालों में कुछ खास नहीं बढ़ी। मगर इसकी तमाम खासियतों के चलते कुछ साल बाद इसमें बड़ा बूम आया।
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निवेशकों का ध्यान इसकी ओर तब खिंचने लगा, जब उन्हें समझ आया कि इसमें प्राइवेसी के साथ पैसे का लेनदेन करना भी बेहद आसान है, क्योंकि बीच में कोई बिचौलिया नहीं होता। जो लोग विश्व स्तर पर व्यवसाय करते हैं, उन्हें फॉरेन एक्सचेंज से लेकर तमाम बैंकों के अलग-अलग नियमों से गुजरना पड़ता है।
ऐसे में अगर कोई ऐसी करंसी हो जो पूरी दुनिया में कॉमन हो, तो क्या यह बेहतर नहीं होगा? इसी पहलू के चलते बिटकॉइन और दूसरी क्रिप्टोकरंसी लोगों को आकर्षित करती हैं।
बैंक की तुलना में बेहद आसान
बिटकॉइन एक्सचेंज के चलते बैंकों के चक्करों में नहीं उलझना पड़ता। डिजिटल वॉलेट से आप अपने रुपये को किसी डॉलर या यूरो वाले को ट्रांसफर कर सकते हैं। बस थोड़ी फीस लगती है। सारी प्रक्रिया डिजिटल होने की वजह से सब कुछ मिनटों में हो जाता है। यही काम अगर पेपर करंसी में किया जाए तो बैंकों से होकर गुजरना होगा। इसमें चार्ज भी ज्यादा लगेगा और समय भी। इसी वजह से क्रिप्टोकरंसी लोकप्रिय होती गई।
Bitcoin अकेला नहीं, हजारों क्रिप्टो
दुनिया में वर्तमान में 9,000 से अधिक क्रिप्टोकरंसी हैं और उनकी कुल मार्केट वैल्यू लगभग 1.3 ट्रिलियन (1.3 खरब डॉलर) है। इनमें से बिटकॉइन और एथेरियम जैसे प्रमुख कॉइन सबसे बड़ा हिस्सा रखते हैं। बिटकॉइन अकेले पूरी क्रिप्टो मार्केट का लगभग 50 फीसदी मार्केट कैप कवर करता है। एथेरियम इसके बाद दूसरे स्थान पर है।
अन्य प्रमुख क्रिप्टोकरंसी में Binance Coin (BNB), Dogecoin, Tether (USDT) और Solana (SOL) शामिल हैं। इसके अलावा, कई अल्टकॉइन्स (Altcoins) और स्थिर मुद्राएं (Stablecoins) भी हैं, जो अलग-अलग उपयोग के मामलों और बाजार की मांगों को पूरा करती हैं।
कीमत अस्थिर, इसलिए सावधान रहिएगा
बाजार की यह वैल्यू समय-समय पर बदलती रहती है, क्योंकि क्रिप्टोकरंसी की कीमतें अत्यधिक अस्थिर होती हैं। सबसे प्रमुख करंसी बिटकॉइन की बात करें तो 2020 की शुरुआत में इसकी वैल्यू लगभग 7,000 अमेरिकी डॉलर थी। नवंबर-दिसंबर में इसने तेजी पकड़ी और साल के अंत तक लगभग 29,000 अमेरिकी डॉलर पर पहुंच गया।
ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि कोविड महामारी के दौरान लोगों की रुचि क्रिप्टो में बढ़ गई थी। बिटकॉइन (Bitcoin) ने अप्रैल 2021 में लगभग 64,000 अमेरिकी डॉलर का नया रिकॉर्ड बनाया। हालांकि, मई-जुलाई के दौरान कीमतें गिरकर 30,000 अमेरिकी डॉलर तक आ गईं।
इसके बाद, नवंबर 2021 में यह फिर से 68,000 डॉलर के उच्चतम स्तर पर पहुंचा। 2022 क्रिप्टो मार्केट के लिए चुनौतीपूर्ण रहा। बाजार में मंदी के कारण बिटकॉइन 20,000-25,000 USD की रेंज में आ गया। दिसंबर 2022 तक कीमतें 16,000 डॉलर तक गिर गईं। 2024 में इसमें फिर सुधार देखने को मिला और साल का आखिर आते-आते इसने एक लाख अमेरिकी डॉलर के स्तर को छू लिया।
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माना जा रहा है कि इसकी वजह अमेरिकी चुनाव में डॉनल्ड ट्रंप (Donald Trump) की जीत है। ट्रंप के साथ टेस्ला के सीईओ एलन मस्क (Elon Musk) भी हैं और सभी जानते हैं कि उन्हें क्रिप्टो में कितनी दिलचस्पी है। ऐसे में क्रिप्टो प्रेमियों को लग रहा है कि ट्रंप क्रिप्टोकरंसी के लिए कुछ कर सकते हैं।
लेकिन क्या क्रिप्टो में निवेश करना चाहिए?
- डॉनल्ड ट्रंप (Donald Trump) भले ही क्रिप्टो को सपोर्ट करें, लेकिन क्या दूसरे देश भी साथ देंगे? भारत में एक्सपर्ट क्रिप्टो के पक्ष में नहीं हैं।
- क्रिप्टोकरंसी में बहुत तेज उतार-चढ़ाव होता है। कोई एक बयान या ट्वीट भी इसके रेट पर जबरदस्त असर डाल सकता है। क्या आप यह जोखिम उठाने को तैयार हैं?
- क्रिप्टो में सब कुछ ढंका-छिपा है। यह ऐसी मुद्रा नहीं, जिसे लेकर आप किसी दुकान या शोरूम में पहुंच जाएं।
- क्रिप्टो का रेट सेंटीमेंट्स पर निर्भर करता है, इसलिए अस्थिर है। 2022 वाली स्थिति फिर आ सकती है, जब बिटकॉइन का रेट बहुत गिर गया था।
- भारत में क्रिप्टो से हुए मुनाफे पर 30 प्रतिशत की उच्च दर है।
- भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) क्रिप्टोकरंसी को लेकर चिंता जता चुका है।
- वित्त मंत्रालय के सामने वर्चुअल करंसी पर बैन लगाने का प्रस्ताव भी लाया जा चुका है।