

सुबह से ही पूरे देश में एक खास उत्सव का माहौल था। हर शहर, हर गांव में लोग अपने घरों से बाहर निकलकर स्वराज का जश्न मना रहे थे। बदन पर खादी और हाथों में तिरंगा लिए बड़े-बूढ़े इस महोत्सव की अगुआई कर रहे थे। उनके साथ हर उम्र के लोग थे, महिलाएं भी थीं और पुरुष भी। सुबह 8 बजे पूरे देश में एक साथ वंदेमातरम के नारों और राष्ट्रभक्ति से ओतप्रोत गीतों के बीच तिरंगा फहराया गया। पेशावर से मद्रास और कलकत्ता से अहमदाबाद तक, हर जगह यही नजारा था।
एक मिनट… पेशावर? जी हां, यह दिन था 26 जनवरी 1930 का यानी आजादी से पहले का, जब देश का बंटवारा नहीं हुआ था। और यही वह दिन है, जब भारत ने पहली बार अपना स्वतंत्रता दिवस (Independence Day) मनाया। तब 26 जनवरी को स्वतंत्रता दिवस के रूप में चुना गया था।
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साल 1930 से 1947 तक, देश हर बरस 26 जनवरी को ही आजादी का जश्न मनाता रहा। जब 15 अगस्त 1947 को आजादी मिल गई, तब भी 26 जनवरी (26 January) का गौरव कम न हुआ। 1949 में जब भारत का संविधान तैयार हो गया, तो उसे 26 जनवरी 1950 को लागू किया गया। यह निर्णय 1930 के ऐतिहासिक दिन को सम्मान देने के लिए लिया गया था। इस तरह से देश का स्वतंत्रता दिवस आगे जाकर गणतंत्र दिवस (Republic Day) में तब्दील हो गया। इसकी कहानी शुरू होती है लाहौर से।
लाहौर अधिवेशन और पूर्ण स्वराज का संकल्प
दिसंबर 1929 में कांग्रेस का लाहौर अधिवेशन हुआ। पंडित जवाहरलाल नेहरू (Jawaharlal Nehru) ने अध्यक्ष के रूप में अंग्रेजी हुकूमत से स्वशासन की मांग को ठुकराते हुए भारत की पूर्ण स्वतंत्रता की घोषणा कर दी। इसे पूर्ण स्वराज कहा गया।
लाहौर अधिवेशन (Lahore session) में सिर्फ स्वतंत्रता का संकल्प ही नहीं लिया गया, बल्कि स्वतंत्र भारत के संविधान और शासन की रूपरेखा भी तैयार की गई। इस अधिवेशन में चार तरह की स्वतंत्रता पर जोर दिया गया- आर्थिक, राजनीतिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक। साथ ही, यह भी तय किया गया कि भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश होगा। पंडित नेहरू ने साफ कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था समाजवाद पर आधारित होगी और देश किसी भी तरह इंग्लैंड के नियंत्रण को स्वीकार नहीं करेगा।
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इसके बाद, जनवरी 1930 में इलाहाबाद (अब प्रयागराज) में कांग्रेस की बैठक हुई। इसमें निर्णय लिया गया कि 26 जनवरी (26 January) को पूरे देश में स्वाधीनता दिवस मनाया जाएगा। यह तारीख इसलिए चुनी गई क्योंकि यह महीने का आखिरी रविवार था। सुबह 8 बजे तिरंगा फहराने का समय भी तय किया गया। सभी से आग्रह किया गया कि इस दिन अपने-अपने क्षेत्रों में तिरंगा फहराएं और स्वतंत्रता का संदेश फैलाएं।
महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) ने 26 जनवरी, 1930 के आयोजनों के लिए कुछ खास निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि जुलूस पूरी तरह अहिंसक तरीके से निकाले जाएं। कोई भाषण न दिया जाए, बल्कि पूर्ण स्वराज के संकल्प को स्थानीय भाषाओं में अनूदित कर लोगों को सुनाया जाए।
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विश्व स्तर पर भारत का समर्थन
इस संकल्प की सूचना भारत के बाहर भी भेजी गई। अमेरिका के कई सांसदों ने भारत की स्वतंत्रता की मांग का समर्थन किया। 26 जनवरी, 1930 को न्यूयॉर्क में एक सभा हुई, जहां अमेरिकी सांसदों ने भारतीय स्वतंत्रता के प्रति अपना समर्थन जताया।
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