

Pita Maheshwar Temple in Kashi
काशी को मंदिरों का शहर कहते हैं। अर्धचंद्राकार गंगा के किनारे बसे पक्का महाल की संकरी गलियों में धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व की ऐसी धरोहरें हैं, जिन्हें देखकर आंखें चमत्कृत रह जाती हैं। ऐसा ही एक मंदिर है पिता महेश्वर (Pita Maheshwar Temple in Kashi), जो अपनी अनूठी मान्यता और प्राचीनता के लिए जाना जाता है।
यह मंदिर शीतला गली में स्थित है। इस तक पहुंचने के लिए तीन फीट की गुफानुमा पतली गली से होकर गुजरना पड़ता है। जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है, यह मंदिर परम पिता महेश्वर महादेव को समर्पित है, जिन्हें भगवान शिव के पिता के रूप में पूजा जाता है।
लेकिन सबसे ज्यादा खास बात है इस मंदिर में स्थापित शिवलिंग की स्थिति। पिता महेश्वर महादेव का शिवलिंग गली से लगभग 30 फीट नीचे स्थापित है। मंदिर साल में बस एक बार शिवरात्रि के दिन आम श्रद्धालुओं के लिए खोला जाता है।
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सावन के महीने में भी मंदिर बंद रहता है। भक्त इस मंदिर के शिवलिंग के दर्शन केवल सड़क पर बने एक छोटे से छेद के माध्यम से कर सकते हैं। जलाभिषेक और बिल्व पत्र अर्पण जैसे पूजा-अर्चना के कार्य भी इसी छेद से किए जाते हैं। बाकी दिनों में केवल पुजारी ही गर्भगृह में जाते हैं। अगर किसी को पता न हो कि इस जमीन के नीचे इतना पुराना मंदिर है, तो वह आराम से गुजरता चला जाएगा।
यह मंदिर (Pita Maheshwar Temple in Kashi) जितना चौंकाता है, उतना ही बड़ा महात्म्य है इसका। इसका उल्लेख स्कंद पुराण के काशी खंड में मिलता है। इसमें इसे वाराणसी के दुर्लभ और सबसे महत्वपूर्ण शिवलिंगों में से एक के रूप में वर्णित किया गया है।
मंदिर की पौराणिक कथा (Pita Maheshwar Temple in Kashi)
हिंदू शास्त्रों के अनुसार, जब सर्वोच्च शक्ति ने काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग (Srikashi Vishwanath Temple) के रूप में अवतार लिया, उस समय वाराणसी और गंगा नदी का अस्तित्व नहीं था। देवता और देवियां, बाबा विश्वनाथ के दर्शन के लिए यहां आए, लेकिन उन्होंने देखा कि इस पवित्र स्थान पर उनके परम पिता की स्थापना नहीं हुई है।
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देवगण इससे व्यथित हो गए। उन्होंने सर्वोच्च ऊर्जा की प्रार्थना की और परम पिता से यहां आने का आह्वान किया। ऐसा कहा जाता है कि परम पिता महेश्वर, जो पहले गया में स्थापित थे, देवताओं की प्रार्थना सुनकर काशी आए और स्वयंभू शिवलिंग के रूप में यहां स्थापित हो गए।
पंचमुखी शेषनाग और पितृ दोष से मुक्ति
परम पिता महेश्वर महादेव (Pita Maheshwar Temple in Kashi) के शिवलिंग के ऊपर स्थित पंचमुखी शेषनाग का उल्लेख काशी खंड में मिलता है। स्थानीय मान्यताओं के अनुसार, पितृ पक्ष के दौरान हजारों लोग यहां पूजा-अर्चना करते हैं ताकि उन्हें पितृ दोष से मुक्ति मिल सके।
चूंकि यह मंदिर 30 फीट गहराई में है, इसलिए इसका गर्भगृह हमेशा ठंडा रहता है। स्थानीय लोगों का मानना है कि यह मंदिर और पास स्थित सिद्धेश्वरी माता मंदिर उतने ही प्राचीन हैं, जितना कि काशी विश्वनाथ मंदिर। हालांकि, यह मंदिर अब भी अधिकतर लोगों की जानकारी से परे है। (Pita Maheshwar Temple in Kashi)
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अच्छी स्टोरी, नई जानकारी मिली।