

इंसान स्पेस में कितनी भी लंबी छलांग लगा ले, लेकिन चांद से उसकी मोहब्बत कम नहीं होगी। 2025 में कई मून मिशन (Moon Mission) प्रस्तावित हैं। इनमें कुछ प्राइवेट भी हैं। सबसे ज्यादा दिलचस्पी है अमेरिकी कंपनी Firefly Aerospace के लैंडर Blue Ghost के बारे में। इस लैंडर को लेकर एलन मस्क की कंपनी SpaceX का रॉकेट उड़ान भरेगा।
ब्लू घोस्ट को चंद्रमा की उस जगह लैंड करना है जिसे Mare Crisium कहते हैं। वैज्ञानिकों का मानना है कि इस जगह कभी एक बड़ा उल्कापिंड टकराया था। NASA का आर्टेमिस II (Artemis II) मिशन सितंबर में जा सकता है। इसके तहत अंतरिक्ष यात्री चांद की परिक्रमा कर उसे और जानने का प्रयास करेंगे। जापानी कंपनी का Hakuto-R Mission 2 और ब्लू ओरिजिन का MK1 लूनर लैंडर भी इस लिस्ट में जोड़ लीजिए।
कुल मिलाकर, चांद का रूट बहुत बिजी रहने वाला है। इन सारे मिशन का लक्ष्य है हमारी धरती के इकलौते ग्रह के बारे में ज्यादा से ज्यादा जानकारी जुटाना और उसके राज को खोलना। लेकिन जो राज स्पेस एजेंसियों या निजी कंपनियों को पता चलेंगे, क्या वे हमें भी बताएंगी?
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यह सवाल इसलिए क्योंकि कहा जाता है कि अमेरिका ने अपोलो मिशन का असली सच दुनिया से छिपाकर रखा है। हमें चांद का वही चेहरा दिखाया गया, जो हम देखना चाहते हैं, जबकि हकीकत कुछ और है।
जब चांद पर पड़े थे इंसानों के कदम
वह तारीख थी 20 जुलाई 1969। नील आर्मस्ट्रांग और एडविन एल्ड्रिन (Neil Armstrong and Edwin ‘Buzz’ Aldrin) ‘अपोलो लूनर मॉड्यूल ईगल’ से चांद की सतह पर उतरे थे। तब भारत में सुबह का वक्त था। सबसे पहले आर्मस्ट्रांग बाहर आए। इंसानी सभ्यता के इतिहास में यह सबसे बड़ा पल था और इसकी कवरेज पूरी दुनिया में दिखाई जा रही थी। हालांकि तब लाइव कवरेज की व्यवस्था नहीं थी।
उस घटना को 55 साल होने को हैं, टेलिविजन इतना कॉमन नहीं था। फिर भी दुनियाभर में 6 करोड़ से ज्यादा लोग टीवी के सामने डटे हुए थे। इससे भी ज्यादा लोग रेडियो पर कान लगाकर खबर सुन रहे थे।
धरती पर आर्मस्ट्रांग की आवाज सुनाई पड़ी, ‘मैं नीचे उतर रहा हूं। अब मैं सीढ़ियों से हट रहा हूं।’ इसके बाद वह वीडियो आया, जिसमें आर्मस्ट्रांग चांद की सतह पर फुदकते नजर आ रहे हैं और फिर उन्होंने अमेरिकी झंडा फहराया।
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चांद की सतह से उन्होंने संदेश दिया, ‘मनुष्य जाति के लिए यह एक छोटा कदम है, पूरी मानव जाति के लिए एक बड़ी छलांग।’ आर्मस्ट्रांग के 19 मिनट बाद एल्ड्रिन भी नीचे आ गए।
इस घटना को धरती पर तीन जगह रेडियो टेलिस्कोप के जरिये रिसीव कर रेकॉर्ड किया जा रहा था – दो जगह ऑस्ट्रेलिया में और एक अमेरिका के गोल्डस्टोन ट्रैकिंग स्टेशन में। घंटों की रिकॉर्डिंग थी, लेकिन इतना तो टीवी पर दिखा नहीं सकते थे। इसलिए इसमें काट-छांट की गई। हालांकि कहा जाता है कि कुछ खास हिस्से ही काटे गए।
टीवी पर नहीं दिखाया गया पूरा सच
कई लोगों का मानना है कि अपोलो 11 मिशन से जुड़ी ढेर सारी रिकॉर्डिंग को रिकॉर्ड से हटा दिया गया। इन्हें जानबूझकर ब्रॉडकास्ट नहीं किया गया है। ऐसा दावा करने वालों का कहना है कि आर्मस्ट्रांग और एडविन एल्ड्रिन जब चांद पर उतरे, तो अकेले नहीं थे। वहां उनका सामना एलियंस से हुआ।
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दावा करने वालों के मुताबिक, दोनों ने किसी दूसरे ग्रह का स्पेसशिप भी देखा था। इस बारे में नासा (NASA) को बताया गया। तब स्पेस से लाइव प्रसारण की व्यवस्था नहीं थी और शुरुआत में जनता तक केवल यह खबर ही जा रही थी कि चांद की सतह पर इंसान उतर चुका है, तो नासा और अमेरिका को सच छिपाने का मौका मिल गया।
बहुत ही बारीकी से टेप से उन हिस्सों को काटकर अलग कर दिया गया, जिनमें एलियंस रेकॉर्ड हुए थे। बाद में यह एडिटेड वीडियो दुनिया को दिखाया गया।
अमेरिका पर शक करने वालों का कहना है कि एलियंस ने आर्मस्ट्रांग और एडविन के जरिये धरती तक चेतावनी भेजी थी। यही वजह है कि अब चांद पर इंसान उतरने के मिशन नहीं होते। जब हम मंगल तक पहुंच सकते हैं, तो चांद के बारे में ज्यादा जानकारी क्यों नहीं जुटाई जाती?
हो सकता है कि 2025 में हमें इन सवालों का जवाब मिल जाए।
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